विकसित भारत : विजन 2047 विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन

शासकीय आदर्श विज्ञान महाविद्यालय रीवा के समाज विज्ञान संकाय के तत्वावधान में विकसित भारत : विजन 2047 विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। यह वेबीनार भारत के समग्र विकास, शिक्षा, संस्कृति, और ज्ञान परंपरा के समन्वित स्वरूप पर केंद्रित रहा। इस अवसर पर देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रतिष्ठित शिक्षाविद्, आचार्य, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय, छिंदवाड़ा के कुलगुरु प्रो. आई. पी. त्रिपाठी शामिल हुए। विशिष्ट अतिथि के रूप में अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा प्रो. आर. पी. सिंह ने सहभागिता की। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. रवींद्र नाथ तिवारी ने की। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. स्वाति शुक्ला ने किया। प्रो. नीलम पांडेय ने स्वागत उद्बोधन में विषय की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विकसित भारत का स्वप्न तभी साकार होगा जब शिक्षा, संस्कृति और नवाचार एक साथ मिलकर समाज में नई ऊर्जा का संचार करें। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के विकसित भारत 2047 विजन में आत्मनिर्भरता, तकनीकी प्रगति और मानवीय मूल्यों का गहरा समन्वय है।

मुख्य अतिथि कुलगुरु प्रो. आई. पी. त्रिपाठी ने कहा कि भारत विश्व का नेतृत्व करने के लिए पूर्णतः तैयार है, लेकिन इसके लिए हमें अपनी तरुणाई को जागृत करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि विकसित भारत का संकल्प सत्यम, शिवम, सुंदरम के मूल मंत्र में निहित है। जब तक हम सत्य, कल्याण और सौंदर्य के इन तीन आयामों को अपने जीवन और कार्य में नहीं उतारेंगे, तब तक विकास अधूरा रहेगा। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आध्यात्मिक चेतना को विकसित भारत के तीन मुख्य स्तंभ बताते हुए कहा कि भारत की युवा शक्ति में अपार संभावनाएँ हैं, जिन्हें सही दिशा देकर विश्व शांति और विकास का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।

प्रो. आर. पी. सिंह ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को विकसित भारत निर्माण की आधारशिला बताते हुए कहा कि यह नीति भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के साथ-साथ भारतीय ज्ञान परंपरा से भी जोड़ेगी। उन्होंने कहा कि यह नीति विद्यार्थियों में क्रिटिकल थिंकिंग, इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप की भावना को सशक्त करेगी, जो विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में प्रमुख भूमिका निभाएगी। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रो. रवींद्र नाथ तिवारी ने कहा कि शिक्षा ही विकास का द्वार है। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति उसके शिक्षित नागरिकों पर निर्भर करती है। विशेष रूप से उन्होंने मातृशक्ति की भूमिका पर बल देते हुए कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के बिना विकसित भारत का निर्माण अधूरा रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य तभी उज्जवल होगा जब हर शिक्षित महिला अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास में सक्रिय भूमिका निभाएगी।

मुख्य वक्ता दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य प्रो. सनत कुमार शर्मा ने अपने व्याख्यान में भारतीय ज्ञान परंपरा के वैश्विक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय चिंतन में मल्टीडिसीप्लिनरी दृष्टिकोण और सस्टेनेबिलिटी स्वभावतः निहित है। यह हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है कि हम प्रकृति के साथ सामंजस्य रखते हुए विकास करते हैं। उन्होंने कहा कि परंपरा और आधुनिकता के समन्वय से ही भारत के विकास का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो. अरविंद कुमार जोशी ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में महिला, युवा, कृषक और वरिष्ठ नागरिक ये चारों स्तंभ अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत विश्व के सामने एक सशक्त राष्ट्र के रूप में उभर रहा है, जहाँ डिजिटल अर्थव्यवस्था, नवीकरणीय ऊर्जा, रक्षा एवं अंतरिक्ष क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत के पास विश्व का सबसे बड़ा जनसांख्यिकीय लाभ है, जिसे यदि सही दिशा दी जाए तो वर्ष 2047 तक भारत न केवल विकसित राष्ट्र बल्कि ज्ञान गुरु के रूप में भी स्थापित होगा।

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