पंचायत विभाग के दूसरे कार्यपालन यंत्री का वीडियो वायरल, कहा जिला पंचायत में बाबू रिश्वत लेकर बदल देते हैं भ्रष्टाचार की फाइल

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है. आये दिन नित नए खुलासे होते रहते हैं. कहीं तालाब चोरी होने की शिकायतें हो रही हैं तो कहीं अमृत सरोवरों में भ्रष्टाचार की शिकायतें तो कहीं सड़कें ही गायब हैं तो कहीं भवन ही गायब हैं. मनरेगा में मजदूरी का हाल तो सबको पता ही है. मशीनों से काम कराया जाकर फर्जी मस्टर रोल जारी किये जाते हैं. आखिर इस भ्रष्टाचार का जवाबदेह कौन है।

पिछले महीनो देखा गया की ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक 01 के निलंबित और सेवानिवृत कार्यपालन यंत्री टीपी गुर्दवान के काले कारनामों के कई विडियो वायरल हुए थे जिसमे इनके द्वारा इंजिनियर को फर्जी मूल्यांकन में बचाने और आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी को पैसे के दम पर खरीदने के प्रयास और मंत्रालय स्तर में बैठे अधिकारियों पर रिश्वत लेने के आरोप लगाए गए थे. वायरल विडियो में गुर्दवान द्वारा कहा गया था कि ऊपर के अधिकारी बिकाऊ हैं और सबको माल चाहिए. माल अर्थात आप जो भी समझें के सामने आपकी शिकायत फीकी पड़ जायेगी इसलिए आप ही माल ले लो और फर्जी डिग्री की शिकायत को यहीं से रफा दफा करो. लेकिन गुर्दवान का पाला गलत आदमी से पड़ गया जहाँ उन्हें अपनी नौकरी से भी हाँथ धोना पड़ गया. बाद में उन्हें तत्काल ही कमिश्नर रीवा बीएस जामोद द्वारा निलंबित कर दिया गया और विभागीय जाँच बैठा दी गयी. ईई गुर्दवान अब सेवानिवृत तो हो गए लेकिन निलंबन से बहाली आज तक नहीं हुई और विभागीय जांचें अलग से चल रही हैं. उनके विरुद्ध 09 बिन्दुओं की शिकायतों की जाँच में भी दोषी पाए जाकर कमिश्नर रीवा संभाग द्वारा प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग भोपाल को कार्यवाही के लिए लिखा गया है।

ईई संभाग क्रमांक 02 एसबी रावत का भी विडियो वायरल, कहा जिला पंचायत में बाबू लेते हैं पैसे, पैसे लेनदेन कर शिकायती जांचों में करते हैं हेराफेरी
ईई गुर्दवान के बाद अब कार्यपालन यंत्री संभाग क्रमांक 02 एसबी रावत का भी एक विडियो वायरल हो रहा है जहाँ वह अब जिला पंचायत रीवा की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं. सर से पाँव तक व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर ईई रावत बड़े खुलासे कर रहे हैं. यह एक खुलासा मात्र नहीं कहा जा सकता बल्कि पूरे आत्मविश्वास के साथ एसबी रावत कहते नजर आ रहे हैं की जिला पंचायत में किस कदर भ्रष्टाचार व्याप्त है और कैसे जांचों में लीपापोती की जाती है. ईई रावत बता रहे हैं बाबू और ओआईसी अर्थात कार्यक्रम पदाधिकारी पैसे लेकर जांचो को बदल देते हैं. धारा 40/92 में बैठे ओआईसी राजेश शुक्ला के कारनामे तो सभी को ज्ञात हैं। सरपंच सचिव से लिखवा लेते हैं की हम जांच में उपस्थित नहीं थे अथवा जांच से संतुष्ट नहीं जिन इसलिये दूसरी तीसरी जांचे करवाई जाएँ. इसके आधार पर ओआईसी सीईओ जिला पंचायत से मिलकर नई जाँच टीम गठित कर देते हैं जहाँ मनमुताबिक इंजिनियर को जाँच टीम में रखकर वसूली राशि को विलुप्त कर बता दिया जाता है की कार्य हो गया इसलिए कोई वसूली नहीं बनती. इस प्रकार मामले को रफा दफा कर दिया जाता है.

विडियो की पृष्ठभूमि में जिलहंडी पंचायत नईगढ़ी से जुड़ा है मामला
यह जो वीडियो वायरल हुआ हुआ है इसमें जिलहंडी पंचायत जनपद नईगढ़ी की चर्चा हो रही थी जहाँ पर जिलहंडी के कुछ शिकायतकर्ताओं के समक्ष एसबी रावत बात कर रहे हैं जहाँ वह कहते नजर आ रहें हैं आपकी शिकायत का यहाँ से अब कुछ नहीं होगा क्योंकि जिला पंचायत में लेनदेन कर मामला रफा दफा कर दिया जाता है. इसलिए अब आप हाईकोर्ट जबलपुर जाएँ जहाँ से आपको रिलीफ मिलेगी. तब शिकायतकर्ता कहते हैं की साहब आप पहले अपनी रिपोर्ट दे दें तो हम फिर हाईकोर्ट जाएँ. लेकिन वीडियो में देखा जा सकता है की ईई रावत दबाब देकर कहते हैं आप हाईकोर्ट ही जाएँ यहाँ से कुछ नहीं होगा. इस प्रकार यह भी देखा जा सकता है की कैसे जिला पंचायत में चल रहे भ्रष्टाचार की परतें खोलते हुए ईई रावत अपने ही विभाग और सीईओ जिला पंचायत के विरुद्ध दूसरी शिकायतकर्ता पार्टी को हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की सलाह दे रहे हैं. इनके यह कृत्य सिविल सेवा आचरण नियम के विरुद्ध हैं।

वायरल विडियो के बाद जिलहंडी पंचायत का मामला पहुंचा हाईकोर्ट
गौरतलब है की इसके बाद जिलहंडी पंचायत का मामला हाईकोर्ट पहुंचा है जहाँ से जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी ने कलेक्टर मऊगंज को निर्देशित किया था की 90 दिवश के भीतर शिकायतकर्ताओं की शिकायत पर सुनवाई पूरी करते हुए कार्यवाही करें. जिस पर सुनवाई पूरी हो चुकी है लेकिन मऊगंज कलेक्टर ने अभी तक अपना निर्णय पारित नहीं किया है.

बड़ा सवाल ईई एसबी रावत के विरुद्ध कार्यवाही कब
वायरल वीडियो में जिस प्रकार ईई एसबी रावत ने पूरे सिस्टम के भ्रष्टाचार पर प्रहार किया है और पूरी सच्चाई को उगला है क्या इसके बाद जिला पंचायत के बाबुओं और परियोजना अधिकारियों पर कार्यवाही होगी अथवा स्वयं ईई रावत के विरुद्ध अनुशासनहीनता के लिए कार्यवाही की जाएगी। यदि सही मायने में देखा जाय तो कार्यवाही उस सिस्टम पर भी होनी चाहिए जिसके लिए ईई रावत बातें कर रहे हैं जिसमे रिश्वत से भ्रष्टाचार की फाइलों को दबाया जाता है और भ्रष्टाचार पर कोई कार्यवाही नहीं होती। और दूसरी तरफ ईई रावत पर भी सिविल सेवा आचरण नियमों के उल्लंघन के लिए कार्यवाही होनी चाहिए। आखिर ईई रावत को यह बताना चाहिए कि वह कौन कौन से बाबू और परियोजना अधिकारी हैं जो पैसे लेकर जांच रिपोर्ट बदल देते हैं। जिससे ऐसे बाबुओं और परियोजना अधिकारियों को भी चिन्हित कर कार्यवाही की जा सके। (रिपोर्ट – शिवानंद द्विवेदी)

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