जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा एसी के बढ़ते प्रयोग से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव के संबंध में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश मोहन प्रधान ने कहा कि धरती में 1975 के बाद से तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। इसमें अन्य कारकों के अलावा एसी का बढ़ता उपयोग भी प्रमुख कारण है। एसी का उपयोग अत्यधिक आवश्यकता पर ही करें। इसका तापमान 24 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस तक रखें, जिससे एसी का पर्यावरण पर दुष्प्रभाव कम हो। पर्यावरण संतुलित रहेगा तभी मानव जीवन सुरक्षित रहेगा। जलवायु परिवर्तन केवल पर्यावरण का ही नहीं बल्कि मानव के अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा है। न्यायपालिका को भी इस दिशा में प्रयास करके लोगों को जागरूक करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
कार्यशाला में जिला न्यायाधीश श्री सुधीर सिंह राठौड़ ने पर्यावरण संरक्षण के संबंध में जानकारी दी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री समीर कुमार मिश्रा ने जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख कारणों और इन पर नियंत्रण के प्रयासों की जानकारी दी। माडल साइंस कालेज की सहायक प्राध्यापक श्रीमती आरती तिवारी तथा जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री अभय कुमार मिश्रा ने भी कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला में संविधान में दिए गए मौलिक कर्तव्यों में शामिल पर्यावरण संरक्षण तथा वन्यजीव संरक्षण के संबंध में भी जानकारी दी गई। कार्यशाला में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि सुमित सिंह अनीष पाण्डेय, सुरेन्द्र सिंह, आनंद पाण्डेय, मंजूर अहमद, वन्यजीव संरक्षण कार्यकर्ता चक्रपाणि मिश्रा तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।