भ्रष्टाचार के बढ़ते कदम पर कब लगेगी लगाम – रामलखन गुप्त

चाकघाट। भय भूख औरभ्रष्टाचार को दूर करने का वादा करके सत्ता में आई सरकार के विकास की आड़ में भ्रष्टाचारियों द्वारा जिस ढंग से लोगों का शोषण किया जा रहा है उससे आम जनता कराह उठी है। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर मुख्यमन्त्री जी के द्वारा की जा रही जनहितैसी घोषणाओं में वृद्धि हुई है वहीं शिलान्यास एवं भूमिपूजन की रफ्तार कमजोर होती दिख रही है।इस समय जनप्रतिनिधि केवल दुआरदारी एवं शुभ मुहूर्त के आमंत्रण पर लोगों के घर पहुंच कर स्नेह आशीर्वाद देने का गति तेज कर दिये हैं। लेकिन जनता से जुड़ी तमाम समस्याएं यथावत ही दिख रही है चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टरों की संख्या को देखें तो उनमें अधिकांश लोग अस्पताल नहीं आते। क्षेत्र के तमाम जन समस्याओं के निदान के लिए बनाए गए कार्यालय समय पर नहीं खुलते। संबंधित कार्यालय में कार्य करने वाले स्टाफ की कमी स्पष्ट दिख रही है। जवा तहसील के वकीलों और जनता द्वारा तीन बार अनुविभागीय अधिकारी को हटाने का ज्ञापन दिया जा चुका है, आरोप है कि उक्त अधिकारी महोदय कभी अपनी कुर्सी पर बैठते ही नहीं है। कार्यालय में उनकी उपस्थिति निश्चित न होने के कारण, सारा काम दलालों के माध्यम से हो रहा है। त्योंथर में तो पूरे जिले के चर्चित एवं अपने दायित्व के प्रति लापरवाह अधिकारियों का जमावडा लगता जा रहा है!
त्योंथर क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारी न तो यहां निवास करते है और न ही कोई अधिकारी समय पर कार्यालय में आता है। त्योंथर का प्रशासन रीवा से ही चल रहा है। जनता परेशान है!
विकास कार्यों की बात करें तो सरकार की बहुआयामी नलजल योजना पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही है। पचांयतों में नलजल योजना का कार्य पूरा नहीं हुआ है! दारू और बालू का अवैध कारोबार बिना रोकटोक अपने चरम पर फलफूल रहा है।

क्षेत्र में पुलिस थानों की बेगारी तो सदैव से चर्चा का विषय रहा। पुलिस थानों के इस बेगारी के बटवारे में कौन कौन शामिल हैं ये तो ऊपर वाला ही जाने!
मुख्यमंत्री जी ने काग़ज़ों में परिवहन बैरियर बन्द करने का आदेश दिया लेकिन रीवा के हरेक बैरियर में ड्राइवरों के जेब से पैसे छीने जा रहे हैं। सोहागी पहाड़ पर खुलेआम रात दिन वाहन चालकों से वसूली की जाती है। एक अधिकारी ने तो सहज यह कह डाला था हमारी क्या औकात की हम अवैध वसूली करें। हमसे तो ऊपर के लोगों द्वारा अवैध वसूली कराया जाता है। मोटर मालिकों की आवाज कराह में बदल गई है। ऑल इंडिया परमिट के नाम पर इस मार्ग पर लगभग तीन दर्जन वाहनों का परिचालन हो रहा है जिन वाहनों से प्रति ट्रिप दर से की वसूली की जाती है लेकिन इस कराहने की आवाज को कौन सुने?

अब सवाल ये है कि क्या जिला कलेक्टर यहां के व्यापक भ्रष्टाचार एवं भर्रेशाही को किस हद तक रोक सकती हैं। वे भी तो तो कहीं न कहीं ऊपर से ही संचालित है। क्या यह माना जाए कि जिला प्रशासन को ये सबकुछ दिखाई नहीं पड़ रहा है? हालात ये बन चुके हैं कि सीमांकन के केस उच्च न्यायालय में जाने लगे। हाल ही में उच्च न्यायालय ने रीवा कलेक्टर को बुला कर बहुत कुछ कहा भी लेकिन कार्यप्रणाली पर कोई असर नहीं पड़ा! कोई जनप्रतिनिधि जनता के हितों को लेकर कितना कुछ कहे? इसलिए जैसा चल रहा है क्या चलने दिया जाए? विपक्ष की आवाज को आवाज नहीं माना जाता। सत्ता पक्ष के लोग जनहित की बात को उठाकर अपने टिकट के रास्ते में रोड़ा नहीं हटाना चाहते हैं।क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार, लूट की गोपनीय जांच होनी चाहिए और मुख्यमंत्री जी यहां के भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करें जिससे आमजन को मोदी जी के नेतृत्व में स्वच्छ प्रशासन का दर्शन हो सके। सोहागी पहाड़ पर आए दिन बड़ी दुर्घटनाएं हो रही है। भारी संख्या में लोग मारे जा रहे हैं। वाहन दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण ओवरलोड वाहनों का संचालन है। किंतु यहां पर नेशनल हाईवे पर टोल बैरियर, थाने और यातायात विभाग की चौकसी के बाद भी ओवरलोड पर लगाम नहीं लग पा रहा है। जिससे वाहन दुर्घटना निरंतर हो रही है। क्षेत्र के विभिन्न विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए गोपनीय जांच कराई जाए तथा दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाय।
(रामलखन गुप्त)

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