त्यौंथर। एक तरफ धान एवं मोटे अनाजों के उपार्जन के लिए पंजीयन 4 अक्टूबर तक की जानकारी दी जाती है और दूसरी तरफ जब किसान धान पंजीयन के लिए सेंटर पर जाते हैं तो पोर्टल पर उनकी ज़मीन ही नहीं चढ़ी होती है। अब ये सिस्टम का फॉल्ट है या सर्वर का या फिर कुछ और गड़बड़ी कुछ पता नहीं चल पा रहा है लेकिन किसान दर – दर की ठोकरें जरूर खा रहा है। ऊपर से बीते कल में कलेक्टर ऑफिस से दी गई जानकारी के मुताबिक पंजीयन 4 अक्टूबर तक ही होगा। जिसके बाद से किसान काफी परेशान चल रहे। उन्होंने जिला कलेक्टर रीवा से आग्रह है किया है की पंजीयन को लेकर जो भी समस्याएं समिति या निजी लॉगिन में आ रहीं उनको दूर करवाएं और पंजीयन की तारीख बढ़ाएं ताकि सभी किसान भाई अपनी फसल का उपार्जन के लिए पंजीयन करवा सकें।
क्या है समस्या
हर साल की तरह साल 2024 – 25 में भी फसलों के पंजीयन से पहले गिरदावली शुरू की गई, जिसमें जमीनी स्तर पर हल्का पटवारी के देख – रेख में टीम बनाई गई। साथ ही किसानों को अपने खसरे को आधार और समग्र के साथ जोड़ने के लिए केवाईसी का आदेश जारी हुआ। जानकारी के मुताबिक गिरदावली के लिए केवाईसी आवश्यक थी और जिनकी केवाईसी तय समय सीमा में नहीं की गई थी उनका खसरा उपार्जन पंजीयन के साथ जुड़ ही नहीं पाया। जिसकी वजह से किसानों के खसरे पंजीयन पोर्टल पर दिखना ही बंद हो गए।
दर – दर भटक रहे किसान
उपार्जन पोर्टल में खसरा न दिखने की वजह से किसान दर – दर भटक रहे। कभी हल्का पटवारी के पीछे भाग रहे तो कभी समिति ऑपरेटर के पीछे तो कभी साइबर कैफे या ऑनलाइन ग्राहक सेवा केंद्र में लेकिन उनकी परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही। मिली जानकारी के मुताबिक बीते कई दिनों से किसानों का पंजीयन अटकलों में चल रहा। शुरुआत में तो कुछ किसानों का तो पंजीयन हो गया लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में समिति ऑपरेटर के पास लगी भीड़ किसानों की परेशानी बयान कर रही है। कुछ किसानों का कहना है कि खबरों में पंजीयन कि आखिरी तारीख 4 अक्टूबर 2024 बताई गई है, ऐसे में एक तरफ सर्वर कि दिक्कत और दूसरी तरफ छुट्टियां हमारी चिंता बढ़ा रही। ऐसे में कलेक्टर मैडम को पंजीयन कि तारीख बढ़ने के बारे में सोचना चाहिए। किसानों ने प्रदेश के मुखिया डॉक्टर मोहन यादव से आग्रह किया है कि उपार्जन के लिए हो रहे पंजीयन कि तारीख बधाई जाये ताकि सभी किसान भाइयों का पंजीयन हो जाये और वो अपनी फसल का उपार्जन सहकारी समितियों में कर सकें।