साधना गुप्ता को घूम-घूम कर फेरी लगाते हुए सामान बेचने से मिला छुटकारा

ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर गांव की महिलाएं स्वावलंबी हो रही हैं और अपना स्वयं का व्यवसाय कर उनकी आर्थिक स्थिति में भी अपेक्षित सुधार हो रहा है। नईगढ़ी विकासखण्ड के भीर गांव की साधना गुप्ता इससे पहले गांव में घूम-घूम कर फेरी लगाते हुए बिसातखाने का सामान व बर्तन की बिक्री कर किसी तरह अपने परिवार का जीवनयापन कर पाती थीं लेकिन स्वसहायता समूह से जुड़कर उन्होंने अब अपनी एक बड़ी दुकान खोल ली है और इससे उनकी पहचान भी बन गई है।

साधना गुप्ता पहले आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण अपने पति के साथ गांव-गांव में सामान की बिक्री करती थीं। अधिक समय और श्रम देने के बाद भी उन्हें पर्याप्त आय नहीं होती थी और घर परिवार का खर्चा बड़ी मुश्किल से चल पाता था। मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के शंकर स्वसहायता समूह से जुड़ने से साधना की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। उन्होंने समूह को प्राप्त ऋण राशि में से एक लाख रुपए का कर्ज लेकर गांव के बाजार में छोटी सी दुकान का संचालन प्रारंभ किया। धीरे-धीरे दुकान अच्छी चलने लगी और आमदनी भी बढ़ने लगी। दुकान की आय से समूह का कर्ज जमा कर साधना ने पुन: ऋण राशि लेकर दुकान का विस्तार किया। धीरे-धीरे उनकी दुकान में बिसातखाना की सामग्री व बर्तन का व्यवसाय चल निकला। अब साधना महीने में 15 से 20 हजार रुपए अपनी दुकान से ही आय के तौर पर प्राप्त करने लगी हैं। अब उन्हें घूम-घूम कर सामग्री बेचने से छुटकारा मिला और भीर बाजार में उनकी अपनी दुकान की पहचान है।

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