संवेदनशील लेखन समाज का मार्गदर्शन करता है : उप-मुख्यमंत्री

उप-मुख्यमंत्री श्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा है कि सामाजिक समस्याओं पर संवेदनशील लेखन समाज का मार्गदर्शन करता है। कुरीतियों के सुधार के लिए प्रेरित करता है। हमेशा से लेखक और विचारकों ने शासन व्यवस्था को जागरूक किया है, सहयोग प्रदान किया है। ताकि सुशासन की स्थापना हो और जन-सामान्य की समृद्धि और ख़ुशहाली सुनिश्चित हो। उप-मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने राज्य पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान भोपाल के सभागार में संयुक्त संचालक जनसंपर्क श्री प्रलय श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक “अभिव्यक्ति के चार दशक” का विमोचन किया। उप-मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने श्री श्रीवास्तव द्वारा उनके अनुभवों को रेखांकित करने के प्रयास की सराहना की। उन्होंने वेबसाइट और यूट्यूब चैनल “जागरूक” के लोगो का भी विमोचन किया।

कार्यक्रम में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पशुपालन एवं डेयरी विभाग श्री लखन पटेल, पूर्व मंत्री एवं विधायक श्रीमती अर्चना चिटनीस, विधायक श्री श्रीकान्त चतुर्वेदी, पूर्व सांसद श्री आलोक संजर, वरिष्ठ पत्रकार श्री महेश श्रीवास्तव, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी श्री मनोज श्रीवास्तव सहित जनसंपर्क विभाग के वरिष्ठ और सेवानिवृत्त अधिकारी, पत्रकारगण और साहित्यकार उपस्थित थे।

पूर्व मंत्री एवं विधायक श्रीमती चिटनीस ने कहा कि शासकीय ज़िम्मेदारियों के निर्वहन की व्यस्तताओं के साथ अपने मौलिक विचारों को जीवंत रखना और समाज के हित में अनुभव साझा करने का यह प्रयास सराहनीय है। सेवानिवृत्त आईएएस श्री श्रीवास्तव ने कहा जनसंपर्क में प्रचार लेखन कार्य के साथ विचार लेखन का प्रयास सराहनीय है। वरिष्ठ पत्रकार श्री श्रीवास्तव ने महाकवि कालिदास की कृति “मेघदूत” का उल्लेख करते हुए संयुक्त संचालक श्री श्रीवास्तव की कृति को मेघवर्णन की उपमा दी। उन्होंने कहा कि श्री प्रलय श्रीवास्तव ने अपने पिता मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय श्री सत्यनारायण श्रीवास्तव की लेखनी को जीवंत रखा है।

संयुक्त संचालक जनसंपर्क श्री प्रलय श्रीवास्तव ने पुस्तक की विषयवस्तु का विवरण दिया। उन्होंने बताया कि “अभिव्यक्ति के चार दशक” उनकी दूसरी पुस्तक है, जिसमें विगत 40 वर्षों के दौरान उनके द्वारा विभिन्न विषयों में लिखे गए समाचार पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए लेखों का संग्रह तथा अन्य महत्वपूर्ण संस्मरण और संदर्भ समाहित हैं। उन्होंने सभी अतिथियों को अपनी पहली पुस्तक “मध्यप्रदेश में चुनाव और नवाचार” की प्रतियाँ भेंट की।

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