गंदगी और अतिक्रमण से पटा रतहरा तालाब जीर्णोद्धार से बना शहर का सेल्फी प्वाइंट

तिल-तिल कर मर रहे रतहरा तालाब को जीर्णोद्धार से मिला नया जीवन

पूरे देश की तरह विन्ध्य क्षेत्र में भी जल संरक्षण के लिए तालाबों का बड़ी संख्या में निर्माण कराया गया था। अब से लगभग 50 वर्ष पूर्व तक हर गांव में कम से कम दो बड़े तालाब अवश्य थे। इनमें वर्ष भर निस्तार के लिए पानी मिलता था। रीवा शहर में भी कई बड़े तालाब हैं। रानी तालाब, चिरहुला तालाब, झलबदरी तालाब, कुबेर तालाब, रामसागर, लखौरी बाग तालाब तथा रतहरा तालाब इनमें शामिल हैं। इनमें से रतहरा तालाब कभी जल से भरा-पूरा रहता था। शहर के विस्तार के साथ इस तालाब के चारो ओर तेजी से अतिक्रमण होने लगा। अवैध निर्माण कार्यों के कारण तालाब में पानी की आवक बहुत कम हो गई। इसमें आसपास के घरों से गंदगी फेकी जाने लगी। रतहरा तालाब गंदगी और अतिक्रमण से तिल-तिल कर मरने लगा। फिर इसके जीर्णोद्धार के प्रयास शुरू हुए। जीर्णोद्धार का कार्य पूरा होने के बाद अब रतहरा तालाब शहर के सुंदरतम सार्वजनिक स्थलों में शामिल हो गया है। यह लोगों के घूमने और सेल्फी के लिए पसंदीदा स्थान बन गया है।

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रतहरा तालाब के जीर्णोद्धार के कार्य ने जल संरक्षण और संवर्धन का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल के विशेष प्रयासों से रतहरा तालाब से अतिक्रमण हटाने और जीर्णोद्धार का कार्य किया गया। इस 14 एकड़ क्षेत्रफल के रतहरा तालाब का पुनर्घनत्वीकरण योजना के तहत तीन करोड़ 29 लाख रुपए की लागत से तालाब का नव निर्माण और सौन्दर्यीकरण का कार्य किया गया। इसका गहरीकरण करके चारों ओर मजबूत मेड़ बनाई गई। इसकी मेड़ पर आकर्षक पेड़-पौधे रोपित किए गए। तालाब में घूमने आने वाले लोगों की सुविधा के लिए शौचालय, बैठने के लिए बेंच तथा टहलने के लिए पाथवे का निर्माण कराया गया। तालाब में आकर्षक फब्बारे भी लगाए गए हैं। जो तालाब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा था वह तालाब अब पर्यटकों का स्वागत करने के लिए तैयार है। 

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