त्योंथर में भाजपा ने भरोसा किया कांग्रेस से आए सिद्धार्थ तिवारी पर

रामलखन गुप्त, चाकघाट। उस समय देश में आपात स्थिति समाप्त होते ही मध्य प्रदेश में भी विधानसभा का चुनाव हुआ। त्योंथर विधानसभा से चुनाव के लिए मीसा बंदी गैर कांग्रेसी नेता रामलखन सिंह को जनता पार्टी का प्रत्याशी बनाया गया था। उस समय भी कांग्रेस से लड़ने के लिए त्योंथर क्षेत्र से बाहर निवास कर रहे श्रीनिवास तिवारी जी को यहां लाकर कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया गया था। जातीय समीकरण एवं भितरघात के चलते श्रीनिवास तिवारी जी यहां से विजई हुए और राम लखन सिंह को पहली बार पराजय का मुंह देखना पड़ा था। दूसरी बार के चुनाव में श्रीनिवास तिवारी त्योंथर क्षेत्र से पुनः कांग्रेस के प्रत्याशी हुए और वह यहां से चुनाव जीत कर मध्य प्रदेश शासन में कैबिनेट मंत्री बने । लगभग 45-46 वर्ष बाद वही इतिहास फिर से दोहराने की स्थिति बन गई है। भारतीय जनता पार्टी जिसकी शक्तिशाली संगठन एवं सरकार देश के अनेक प्रान्त एवं केंद्र में है उसी भारतीय जनता पार्टी के पास यहां का अब कोई भी व्यक्ति पार्टी के दृष्टि में उपयुक्त नहीं दिखा जिसे त्योंथर क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया जा सके। कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे श्रीनिवास तिवारी जी के पौत्र सिद्धार्थ तिवारी को कांग्रेस पार्टी का टिकट न मिलने पर उन्हें कांग्रेस से लाकर भाजपा में शामिल किया गया और अब उन्हें त्योंथर की बागडोर सौंपने की तैयारी चल रही है। सिद्धार्थ तिवारी त्योंथर विधानसभा से भाजपा के प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं।कांग्रेस ने तो पहले से ही रामलखन सिंह के सुपुत्र रमाशंकर सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर रखा है। सिद्धार्थ तिवारी को कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो वे भाजपा की नौका में सवार होकर त्योंथर से राजनीतिक दरिया पार होना चाहते हैं। त्योंथर क्षेत्र में फिर से श्रीनिवास तिवारी और रामलखन सिंह के वंशज आमने-सामने होंगे। फर्क इतना है की दोनों कांग्रेस विचारधारा के ही हैं। एक ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है तो दूसरा कांग्रेस से ही लड़ रहा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस चुनावी समर में यहां के मतदाता दो कांग्रेसी विचारधारा के लोग को ही अपना मत देने जा रहे हैं एक कल तक कांग्रेसी था और एक आज भी कांग्रेसी ही है। मेरे से विचार से दोनों भाजपा के घोर विरोधी है लेकिन सिद्धार्थ तिवारी ने अब भाजपा का मुखौटा और कमल का निशान लेकर यहां से चुनाव क्षेत्र में आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारतीय जनता पार्टी के विचारों और सिद्धांतों पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं के मन में बड़ा क्षोभ उत्पन्न हो गया है कि क्या त्योंथर में अब कोई भी भाजपा का कार्यकर्ता नहीं बचा जिस पर भारतीय जनता पार्टी अपना भरोसा जाता सकी। एक प्रकार से सिद्धार्थ तिवारी यहां के लिए आयातित प्रत्याशी होंगे। क्योंकि इसके पहले उनका इस क्षेत्र से कोई राजनीतिक दावा भाजपा की ओर से नहीं रहा है। इस बार क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी एक नया प्रयोग करने जा रही है बाहर से लाकर किसी प्रत्याशी को यहां से लड़ाया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान विधायक श्यामलाल द्विवेदी, कौशलेश तिवारी तिवारी लाल। देवेंद्र सिंह, सोनल शर्मा ,अनिल तिवारी, राजेंद्र गौतम, प्रशांत पाठक, राम प्रकाश मिश्र बाबा, मधुकर द्विवेदी आदि भाजपा के नेता गण टिकट के लिए भाजपा से काफी उम्मीद लगाए बैठे थे। चुनाव लड़ने की मंशा से अधिकांश लोग क्षेत्र में दौरा एवं न्योता दुआर का कार्य कर रहे थे। अब उनके अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। क्षेत्र के नेताओं पर भारतीय जनता पार्टी ने भरोसा नहीं जाताया और सिद्धार्थ तिवारी को त्योंथर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है ऐसी स्थिति में भाजपा के कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारीयो में असंतोष होना स्वाभाविक है। यह बात अलग है कि भाजपा से बगावत करने की हिम्मत यहां के नेता कितना जुटा पाएंगे कहा नहीं जा सकता लेकिन भितरघात की संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता। स्थिति वही बनेगी जो आपात स्थिति के बाद बनी थी। श्रीनिवास तिवारी त्योंथर क्षेत्र के लिए बाहरी प्रत्याशी थे और इस बार भी उनके पौत्र को यहां की जनता बाहरी प्रत्याशी के रूप में ही देखेगी।

जनता की राय : भाजपा उम्मीदवार सिद्धार्थ तिवारी को लेकर क्या है युवाओं की राय

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