चुनावी दांव : कांग्रेस ने 6 विधायकों के टिकट काटे, 3 सीटों पर प्रत्याशी बदले और 7 पैराशूट पर भरोषा

चन्दन भइया, मटियारी। देर रात एक और सूची जारी कर कांग्रेस ने मध्य प्रदेश चुनाव 2023 में अपने कुल 229 उम्मीदवार उतार दिये हैं। जिसमें कांग्रेस ने 6 विधायकों के टिकट काटे, 3 सीटों पर प्रत्याशी बदले और 7 पैराशूट लैंडिंग वालों पर भी भरोषा जताया है। कई दिनों से चल रहे मंथन के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने गुरुवार आधी रात को 88 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है। जिसमें पहली लिस्ट में जारी 144 सीटों में से 3 सीटों पर प्रत्याशी बदले गए हैं। 3 सीटें जहाँ प्रत्याशी बदले गए हैं वो दतिया, पिछोर और गोटेगांव हैं। दल बदल कर भाजपा से कांग्रेस में आए दीपक जोशी को खातेगांव से, अभय मिश्रा को सिरमौर से टिकट दिया गया है। अब तक जारी सूची के अनुसार कांग्रेस अब तक 230 सीटों में से 229 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। कांग्रेस ने मात्र बैतूल जिले की आमला सीट पर अभी तक मंथन जारी रखा है। देर रात जारी कांग्रेस की जारी सूची ने कई उम्मीदवारों की नींदें उड़ा दी है तो कइयों को एक और मौका मिल गया है। जारी सूची में पैराशूट लैंडिंग वालों को भी दिया गया है मौका।

विधायकों के टिकट कटे
जारी सूची के अनुसार कांग्रेस ने वर्तमान 6 विधायकों के टिकट काट दिया है। सूची के अनुसार सुमावली से अजब सिंह कुशवाह की जगह कुलदीप सिकरवार, मुरैना से राकेश मावई की जगह दिनेश गुर्जर, गोहद से मेवराम जाटव की जगह केशव देसाई, सेंधवा में ग्यारसी लाल रावत की जगह मोन्टू सोलंकी, बड़नगर में मुरली मोरवाल की जगह राजेन्द्र सिंह सोलंकी और ब्यावरा में रामचंद्र दांगी की जगह पुरुषोत्तम दांगी पर कांग्रेस पार्टी ने भरोषा दिखाया है जबकि बैतूल जिले की आमला सीट पर अभी तक घोषणा नहीं की है। सूत्रों की मने तो कांग्रेस ने बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट को विचाराधीन रखा है। खबरों की माने तो यहां से डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे टिकट की दावेदारी कर रही हैं। डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने अपने पद से इस्तीफा दिया है लेकिन अभी तक इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है और मामला अभी कोर्ट में है।

11 महिलाओं को मौका, 3 सीट पर प्रत्याशी बदले
कांग्रेस ने देर रात जारी अपनी सूची में 11 महिलाओं को विधानसभा चुनाव में उतारा है। सबसे खास बात यह है कि सागर जिले की चार सीटों पर महिला प्रत्याशी उतारे हैं। जिमसें बीना से निर्मला सप्रे, खुरई से रक्षा राजपूत, रहली से ज्योति पटेल और सागर से निधि जैन प्रत्याशी हैं। दूसरी तरफ पहली सूची में घोषित 144 सीटों में से 3 सीटों पर प्रत्याशी बदल दिए गए हैं। जिसमें दतिया, गोटेगांव और पिछोर से प्रत्याशी बदले गए हैं। दतिया से अवधेश नायक की जगह राजेंद्र भारती, गोटेगांव से शेखर चौधरी की जगह एनपी प्रजापति और पिछोर से शैलेंद्र सिंह की जगह अरविंद सिंह लोधी को टिकट दिया गया है।

दल बदल कर कांग्रेस पहुँचने वालों को भी टिकट

  • पहले कांग्रेस फिर भाजपा और बुधवार को फिर बीजेपी से इस्तीफा देने वाले अभय मिश्रा को रीवा जिले की सेमरिया सीट से टिकट दिया गया है। वे पहले कांग्रेस में ही थे, दो महीने पहले भाजपा में शामिल हुए थे। अभय मिश्रा सेमरिया सीट से ही बीजेपी से विधायक रह चुके हैं और फिर से कांग्रेस के सहारे मैदान में उतरेंगे।
  • भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल दीपक जोशी को देवास जिले की खातेगांव सीट से प्रत्याशी बनाया गया है।
  • धार जिले की बदनावर सीट से भाजपा से पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत पर कांग्रेस भरोषा जताया है।
  • पिछले महीने भाजपा से कांग्रेस में शामिल समंदर पटेल को नीमच जिले की जावद सीट से टिकट मिला है।
  • पिछले महीने कांग्रेस में शामिल हुए होशंगाबाद सीट से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा के भाई और पूर्व विधायक गिरजाशंकर शर्मा को टिकट मिला है।
  • भिंड सीट पर कांग्रेस को विधानसभा में अविश्वास के दौरान झटका देने वाले तत्कालीन उपनेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है।
  • निवाड़ी से बीजेपी की मौजूदा जिला पंचायत अध्यक्ष सरोज राय के बेटे अमित राय को टिकट दिया गया है। बीते पंचायत चुनाव में भितरघात के आरोपों के चलते अमित को बीजेपी से निष्कासित कर दिया गया था। नौ महीने पहले उनकी सीएम शिवराज और नरोत्तम मिश्रा की मौजूदगी में बीजेपी में घर वापसी हुई थी लेकिन कांग्रेस ने उनपर भरोषा जताते हुए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। अमित राय वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं।

अन्तः कलह का नहीं मिला काट
कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में अपनी प्रबल दावेदारी करते हुए सत्ता में काविज हुई थी बावजूद जोड़ – तोड़ के खेल में हर गई और सत्ता से बेदख़ल कर दी गई, जिसके पीछे की वजह अन्तः कलह ही नज़र आई थी। इस दौरान सत्ता में रहने के बावजूद भी कांग्रेस जनता के बीच किये गए वादों और घोषणाओं का लाभ नहीं पहुंचा पाई जबकि भाजपा ने सत्ता में आने के बाद घोषणाओं का पिटारा खोल दिया और फिर बीते पंचायती चुनावों में प्रबल दाबेदार बनाकर उठी। भाजपा ने कई योजनाओ का लाभ तो सीधे आम आदमी के रसोई में पहुंचा दिया जिसके बाद कांग्रेस का वापस खड़ा होना और अन्तः कलह से बचना भविष्य के गर्व में है।

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