अनूप गोस्वामी, त्योंथर। रीवा जिले के त्योंथर तहसील अंतर्गत मझिगमा में आधार ऑपरेटर सत्यम तिवारी अपने सहयोगी के साथ अपना स्थायी जगह महिला बाल विकास परियोजना त्योंथर को छोड़कर बिना किसी आदेश के अवैध रूप से निजी दुकान के अंदर बैठकर आधार कार्ड बनाते कैमरे में कैद हुए हैं। साथ ही मनमानी तरीके से 200 से 500 एवं फर्जी दस्तावेज के साथ आधार बनाने की जानकरी भी मिली है। कई दिनों से शिकायत मिलने पर जब कुछ संवाददाता बताये गए मझिगमा पंकज कंप्यूटर लोक सेवा केंद्र में तकरीबन 3:30 से 4:00 के बीच पहुंचे और बिना किसी जानकारी के दुकान में बैठे लोगों से चर्चा की तो पता चला कि निजी दुकान में अवैध रूप से आधार कार्ड बनाये जा रहे हैं। इस सम्बन्ध में जब महिला बाल विकास परियोजना त्योंथर के अधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि उनके द्वारा केंद्र से बाहर जाकर आधार कार्ड बनाने का कोई भी आदेश जारी नहीं किया गया है। इसी सम्बन्ध में जब आधार जिला समन्वयक से जानकरी चाही गई तो उन्होंने भी इस तरह के किसी भी आदेश का खंडन किया और बताया कि ऐसा कोई भी आदेश हमारी तरफ से जारी नहीं किया गया है। साथ ही उन्होंने बताया है कि किसी भी निजी भवन में या फिर किसी जिम्मेदार अधिकारी के बिना आदेश कोई भी आधार संचालक केंद्र से बाहर नहीं जा सकता। अवैध रूप से पनप रहे ऐसे स्वघोषित आधार केंद्र गरीबों से मोटी रकम वसूल फर्जी तरीके से आधार बनाते हैं और अगर इनको रंगे हाँथ कहीं कैमरे में कैद किया जाता है या इनसे सवाल होता है तो ऊँची पहुँच से डराने का या फिर किसी राजनितिक संरक्षण के तहत फोन करवाने का या फिर उल्टा फ़साने कि धमकियाँ भी दी जाती हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि गरीबों को लाभ पहुँचाने के लिए सरकार द्वारा जारी किये गए आधार केंद्रों में अगर उन्ही गरीबों को लूटा जा रहा तो इसका जिम्मेदार कौन है ?
एक नज़र
आधार केंद्रों को लेकर जब और जानकारी जिम्मेदार अधिकारीयों से इकट्ठी कि गई तो एक बात और निकल कर सामने आई है। जिसमें सम्बंधित अधिकारी द्वारा जानकारी दी गई कि कोई भी आधार संचालक बिना अनुमति अपने केंद्र से बाहर नहीं जा सकता है और अनुमति के बाद बाहर जाता भी है तो वो सिर्फ सरकारी भवनों या फिर दी गई अनुमति के अनुसार ही सम्बंधित दफ्तर या भवन में बैठ सकता है। साथ ही यह भी जानकरी दी गई कि आधार सुधार या नए आधार बनाने के लिए 50 रूपए और 100 रूपए का शुल्क लागू है और इससे ज्यादा शुल्क वसूलना गलत है। अब बड़ा सवाल यह है कि जिनके दस्तावेज अधूरे हैं या फिर फर्जी हैं, उनको ऐसे अवैध आधार केंद्र सत्यापित कर जायज कैसे बना देते हैं ? आखिर बेख़ौफ़ होकर ऐसे लोग पत्रकारों को बेधड़क धमकियाँ या फिर पत्रकारों पर दबाव आखिर किसके संरक्षण से दे रहे हैं ?
अब देखना होगा कि सम्बंधित संचालक और व्यवस्थापक पर जिम्मेदार अधिकारी कोई कार्यवाई करते हैं या फिर इस मामले को भी दबा कर गरीबों कि जेब को और खाली करने में ऐसे लोगों कि मदद करेंगे।