अनूप गोस्वामी, जवा। मामला रीवा ज़िले के बहुचर्चित जवा थाने का है, जहाँ तीन भैसों की अवैध तरीक़े से परिवहन की जानकारी लगते ही ग्रामीणों ने ड्राइवर से क्रय – विक्रय कागजात की माँग कर दी बस फिर क्या था मामला थाने तक पहुँच गया और भैंस पहुँच गई थाने। सूत्रों की माने तो ऐरा प्रथा का लाभ उठा मोटा मुनाफ़ा कमाने ऐसे ही अच्छी भैंस गायों को ग़ायब कर दिया जाता है। फ़िलहाल भैंस और गाड़ी दोनों ठाने में लेकिन मामला अभी तक स्पष्ट नहीं।
एक नज़र
रीवा जिले के जवा थाने अंतर्गत ग्राम पंचायत भनिगवा के इंदरहा टोला से 3 भैंस पिकप वाहन नंबर UP-70 FT- 0940 से उत्तर प्रदेश की ओर जाने की खबर ग्रामीणों को लगी तो चोरों के पसीने छूट गए। जिसके बाद शिकायतकर्ता अतुल पाठक एवं ग्रामीणों ने मिलकर उक्त पिकप वाहन को रास्ते में रोक लिया और भैंस बिक्री के कागजात मांगने लगे। पहले तो वाहन में मौजूद ड्राइवर समेत अन्य द्वारा टाल – मटोल किया जाता रहा लेकिन ग्रामीणों द्वारा बिना कागजात जाने नहीं दिया गया। जिसके कुछ समय बाद मामला जवा थाने पहुँच गया और वाहन समेत भैंस भी पहुँच गई थाने। थाने में अवैध तरीके से भैसों को ले जा रहे तीनों लोगो से पूछताछ की गई, तो एक ने अपना गांव अमनैका त्योंथर बताया तो दूसरे को अपने गांव का नाम तक पता नहीं, जिससे यह प्रतीत होता है कि कहीं न कहीं मामला पेचीदा है। यदि सही तरीके से और निष्पक्ष जांच की जाए तो कई और चोरी का बड़ा खुलासा हो सकता है। वहीं शिकायतकर्ता द्वारा जवा थाने में नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
फ़िलहाल भैंस – गाय को लेकर अवैध परिवहन या चोरी का ये कोई पहला मामला नहीं है। ऐसे ही रीवा जिले के कई अन्य क्षेत्रों से भी कई पशु पालक अपने भैंस – गायों को ढूढ़ते दर बदर की ठोकर खा रहे। हालाँकि कुछ लोगों को तो उनके पशु मिल चुके हैं जबकि कुछ लोगों के अभी तक लापता हैं। शायद वो लापता पशु भी ऐसे ही किसी तस्कर के हाँथ लग गए हों और उनका दूसरे प्रदेशों में परिवहन कर मोटा मुनाफा कमा चुके हों।
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