जिले के जोरौट निवासी शिखा साहू की किस्मत अमरूद अन्य फलदार पौधों के रोपण से चमक गई है। फल की विक्री से शिखा ने गत सीजन में 2 लाख रूपये तक की आमदनी की। यह सब संभव हुआ है शिखा के स्वसहायता समूह के जुड़ने से।
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शिखा बताती हैं कि पहले मेरे परिवार का भरण पोषण मजदूरी करके चलता था। बच्चों की पढ़ाई भी नहीं हो पाती थी। मजदूरी के बाद मैंने खेती भी करनी शुरू कर दी। इसी बीच मुझे स्वसहायता समूह से जुड़ने का अवसर मिला और मैं माँ शारदा स्वसहायता समूह की सदस्य बन गई। प्रथम समूह के माध्यम से मैंने एक हजार रूपये लिये जिसे मैंने ब्याज सहित जमा कर दिया मुझे जब भी पैसों की आवश्यकता होती थी तो मैं समूह से पैसे लेती थी और समय पर ब्याज सहित वापस भी कर देती थी बैंक लिकेज से मुझे एक लाख रूपये मिले जिससे मैंने अपनी थोड़ी सी जमीन में फलदार पौधे व 100 पेंड आमरूद के लगाये। गत वर्ष से इनमें फल आने शुरू हो गये जिसमें मैंने विक्री कर लगभग 2 लाख रूपये कमाये। मैं पौधों के बीच की जमीन में खेती भी कर लेती हूं अब मेरा मजदूरी करने का काम छूट गया और मैं अपने बगीचा की मालकिन हो गई हूं जिसकी आय से बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पा रही हूं। अब मुझे महीने में लगभग 15 से 20 हजार रूपये की आमदनी हो जाती है।