सरकार डेटा बिल से आरटीआई कानून को खत्म न करे – शैलेश गांधी

सूचना के अधिकार कानून को डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन बिल 2022-23 के प्रस्तावित मसौदे के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए देश के विभिन्न राज्यों के कार्यकर्ताओं ने कमर कस ली है। इस बीच जगह-जगह आरटीआई कानून की विशेषताओं की जानकारी देते हुए आरटीआई कार्यकर्ता और सामाजिक गणमान्य नागरिक निरंतर प्रयास जारी रखे हुए हैं।

दिनांक 5 मार्च 2023 को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आयोजित किए गए 141 वें राष्ट्रीय आरटीआई वेबीनार में इसी मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई जिसमें उपस्थित विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल आरटीआई कानून को गलत ढंग से संशोधित कर प्राइवेसी के नाम पर सामान्य जानकारी को भी रोकेगा और जो जानकारी आमजन और देश के नागरिकों को आज कुछ जद्दोजहद करके मिल भी जाया करती थी वह हमे नहीं मिल पाएगी।

डेटा बिल वर्तमान स्वरूप में आया तो राशन पेंशन और छोटी जानकारी प्राप्त करना होगा मुश्किल – शैलेश गांधी

इस बीच पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने बताया कि यदि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल अपने वर्तमान स्वरूप में लागू करवाया जाएगा तो इससे कई महत्वपूर्ण जानकारी जो अब तक वेबपोर्टल पर उपलब्ध रहती थी वह हमें प्राप्त नहीं हो पाएगी। आम नागरिकों को राशन, पेंशन से जुड़ी छोटी-मोटी जानकारी भी आसानी से नहीं मिल पाएगी और प्राइवेसी के नाम पर छुपाया जाएगा। उन्होंने कहा की बजट सेशन 2023 में केंद्र सरकार डेटा बिल पास करना चाह रही है परंतु देखना पड़ेगा कि कार्यकर्ताओं का विरोध संपूर्ण देशव्यापी स्तर पर जारी रहे और यदि यह कानून पास भी हो जाता है तो भी लड़ाई रुकनी नहीं चाहिए क्योंकि ट्रांसपेरेंसी अकाउंटेबिलिटी के बिना किसी भी लोकतांत्रिक देश है की कल्पना करना असंभव है।

प्रस्तावित डेटा बिल से आरटीआई कानून को खत्म करने की सरकार की मंशा सफल न हो पाए – आत्मदीप

उधर विशिष्ट अतिथि के तौर पर पधारे मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने भी बताया कि आरटीआई कानून देश को काफी मशक्कत के बाद मिला है जब राजस्थान से लेकर संपूर्ण राष्ट्र में देशव्यापी आंदोलन किया गया और इसमें वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ पत्रकारिता जगत की जानी-मानी हस्तियों ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि जिन कार्यकर्ताओं ने आरटीआई कानून के पक्ष में अपनी बात सरकार तक पहुंचा दी है वह भी और साथ में जिन्होंने अभी तक इस विषय पर सरकार को लेख नहीं किया है सभी मिलकर पुनः नए सिरे से प्रयास करें और जब तक डेटा प्रोटेक्शन बिल पास नहीं हो जाता तब तक अपना प्रयास जारी रखें। इस बीच आत्मदीप ने उपस्थित प्रतिभागियों से सवाल जवाब किए और जानना चाहा की किन-किन प्रतिभागियों ने अब तक सरकार के समक्ष लिखित में अथवा ऑनलाइन माध्यम से आपत्ति दर्ज कराई है।
और जिन्होंने आपत्ति नहीं दर्ज कराई है वह आगे दर्ज कराएं।

150 वें आरटीआई वेबीनार की बनाई जा रही रूपरेखा
इस बीच कार्यक्रम में सोशल एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी द्वारा बताया गया कि 150 वां राष्ट्रीय स्तर का आरटीआई वेबीनार बहुत ही जल्द होने वाला है। इस विषय पर उन्होंने उपस्थित सूचना आयुक्तगणों एवं समस्त कार्यकर्ताओं से विषय विशेषज्ञता के अनुसार सुझाव आमंत्रित किए हैं। 150 वें राष्ट्रीय स्तर के वेबिनार को कैसे मूर्त रूप दिया जाकर बेहतर बनाया जाय जाए इस विषय पर प्रयास चल रहे हैं।

कार्यक्रम में उत्तराखंड से आरटीआई रिसोर्स पर्सन वीरेंद्र कुमार ठक्कर ने भी अपने विचार रखे वहीं मध्य प्रदेश जबलपुर हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने भी बताया कि बहुत जल्द मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के बार काउंसिल के अध्यक्ष भी मीटिंग में सम्मिलित होकर इस विषय पर अपने विचार रखेंगे। कार्यक्रम में जयपाल सिंह खींची, मेघराज सिंह, सोनी नरेश कुमार सैनी, ललित सोनी, सुरेश मौर्य, राहुल रॉय, आशीष नारायण विश्वास, सागर से धनीराम गुप्ता, मुंबई से शिव कुमार गुप्ता, छत्तीसगढ़ से देवेंद्र अग्रवाल आदि कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम में अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन शिवानंद द्विवेदी द्वारा किया गया जबकि सहयोगियों में पत्रिका समूह के वरिष्ठ पत्रकार मृजेंद्र सिंह एवं आरटीआई ग्रुप के आईटी सेल के प्रमुख पवन दुबे सम्मिलित रहे। ( शिवानंद द्विवेदी सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता )

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