सोशल मीडिया में समाचार को लेकर जिला दण्डाधिकारी द्वारा प्रतिबंधात्मक आदेश जारी

सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से परिशांति कायम रखने हेतु जिला दण्डाधिकारी द्वारा प्रतिबंधात्मक आदेश जारी

रीवा, मप्र। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी मनोज पुष्प द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अन्तर्गत सम्पूर्ण रीवा जिले में आमजन की सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने तथा परिशांति कायम रखने के उद्देश्य से सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया गया है। जिला दण्डाधिकारी ने कहा है कि वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए असामाजिक तत्वों द्वारा सोशल मीडिया तथा अन्य माध्यमों से सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने एवं वैमनस्यता फैलाने की स्थिति निर्मित की जा सकती है। रीवा शहर संभागीय मुख्यालय होने के साथ-साथ अति संवेदनशील है। अत: उक्त कृत्य से शहर की शांति एवं कानून व्यवस्था को खतरा होने के साथ-साथ मानव जीवन में भय, रोष, घृणा एवं मानसिक क्षोभ का माहौल बनता है। ऐसी स्थिति में परिशांति कायम रखने हेतु प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए गए हैं।

जिला दण्डाधिकारी ने कहा है कि अनेक बार घटना को बढ़ाचढ़ा कर केवल इतने हिस्से का वीडियो वायरल किया जाता है जिससे घटना के बारे में गलत भ्रांति फैलती है। जबकि कई बार काफी दिनों पूर्व की घटना को इस तरह वायरल किया जाता है कि वह आज या कल की ही हो। ऐसे वीडियो भी वायरल किए जाते हैं जो अन्य राज्य या अन्य जिलों से संबंधित होते हैं लेकिन उनका शीर्षक ऐसा होता है जिससे प्रतीत होता है कि उक्त वीडियो रीवा जिले का ही है। इससे देखने वालों के बीच गलत संदेश जाता है व कानून व्यवस्था की स्थिति भी निर्मित होती है। इस तरह सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब में किसी प्रकार की अपुष्ट पोस्ट को शेयर/फारवर्ड करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी। सोशल मीडिया प्लेटफार्म के ग्रुप एडमिन की जिम्मेदारी होगी कि किसी भी अपुष्ट घटना की पोस्ट को तत्काल पुलिस अधिकारी को सूचित करे जिससे उसकी सत्यता की पुष्टि की जाकर संबंधित के विरूद्ध कार्यवाही की जा सके। ग्रुप एडमिन द्वारा अपुष्ट वायरल जानकारी को संबंधित पुलिस अधिकारी को सूचित न करने पर उसके विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी। जिला दण्डाधिकारी द्वारा जारी यह आदेश तत्काल प्रभावशील हो गया है। इसका उल्लंघन किए जाने पर भारतीय दण्ड विधान की धारा 188 के अंतर्गत दण्डनीय कार्यवाही की जाएगी।

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