राज्यसभा सांसद राजमणि ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्ति की योग्यता पर उठाया सवाल

चाकघाट। चाकघाट नगर की सीमा से लगे प्रयागराज क्षेत्र स्थित इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर इस अंचल के राज्यसभा सदस्य राजमणि पटेल ने मामले को सदन में उठाया। राज्यसभा सदस्य राजमणि पटेल ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कुलपति योग्यता को लेकर प्रश्न उठाया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में नियुक्त की गई कुलपति प्रोफेसर श्रीमती संगीता श्रीवास्तव उस पद के योग्य नहीं है, जिस पद पर उन्हें नियुक्त किया गया है। उन्होंने सदन के माध्यम से माँग किया है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में की गई अयोग्य नियुक्तियों को निरस्त किया जाए।

सदन में अपनी बात रखते हुए राज्यसभा के सांसद राजमणि पटेल ने कहा कि इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय भारत का एक प्रमुख शिक्षा केंद्र है जिसकी गुणवत्ता एवं मेरिट की एक पहचान है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कुलपति पद के लिए एक विज्ञापन जारी किया गया था जिसमें प्रोफेसरशिप के कार्य का 10 वर्ष का अनुभव माँगा गया था। इसमें तीन प्रत्याशी जो सभी अहर्ताओं को पूरा करते थे उनको न लेकर अहर्ता पूरी नहीं करने वाली प्रत्याशी प्रोफेसर श्रीमती संगीता श्रीवास्तव की नियुक्ति उप कुलपति के पद पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में की गई है जो पूर्णता अवैध है। उनके पास 10 वर्ष का अनुभव नहीं है। उन्होंने सदन में यह भी कहा कि 10 वर्ष का अनुभव न होने के कारण सरदार पटेल विश्वविद्यालय गुजरात तथा उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपतियों को हटाया गया है , लेकिन इलाहाबाद के कुलपति को नहीं हटाया गया।

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में विक्रम नाथ जी न्यायधीश हैं उन्हीं की पत्नी प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव हैं इस वजह से उनको अयोग्य होने के बावजूद भी नहीं हटाया गया। यह बहुत गंभीर प्रकरण है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र इसको लेकर और छात्र संघ बहाली को लेकर अनवरत आंदोलन कर रहे हैं। उनके ऊपर लाठीचार्ज भी किया गया गोली चार्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि महोदय हमारे भारत के जो भविष्य हैं उन नौजवानों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने सदन के माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहा है कि प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव को आयोग्य होने के बावजूद क्यों नहीं हटाया गया? बिजली विभाग में 10 वर्ष से कम अनुभव रखने वाले कर्मचारियों को जिस न्यायाधीश के आदेश से हटाया गया हो उसी न्यायाधीश की पत्नी की उप कुलपति पद पर नियुक्ति की गई है यह सरकार के लिए शर्म की बात है। उनको तत्काल हटाया जाना चाहिए।और छात्रों के ऊपर लगाए गए मुकदमे वापस लिए जाने चाहिए तथा छात्र संघ की बहाली भी की जानी चाहिए।

  – राम लखन गुप्त, वरिष्ठ पत्रकार

Leave a Comment

शहर चुनें

Follow Us Now

Follow Us Now