रीवा। बघेली की पहली फिल्म बुधिया को लेकर हंगामा
एक व्यक्ति अपनी बघेली भाषा को शीर्ष पर पहुँचाने के लिए , उसे अलग पहचान दिलाने के लिए अपनी माँ के गहने तक बेंच देता है और जब फिल्म बड़े परदे पर शुरू होती है तो अफवाहों का दौर भी शुरू हो जाता है। यहाँ तक की इस हद तक साज़िश की जाती है की बड़े – बड़े संगठनों के कान भर दिये जाते हैं और इस कदर भरे जाते हैं कि जिले ही नहीं बल्कि पुरे देश में इस फिल्म को लेकर चर्चाएँ शुरू हो जाती हैं। इस बात की सत्यता इसी बात से परखी जा सकती है कि जिन्होंने ख़ुद फ़िल्म को लेकर प्रचार प्रसार किया था वो भी कुछ वक़्त के लिए विरोध में खड़े हो जाते हैं।
हालाँकि रॉयल राजपूत संगठन ने अविनाश तिवारी फिल्म को स्वयं देख कर हरी झंडी दिखा दी जिसके बाद विरोधियों को सांप सूंघ गया। चूँकि फिल्म के कुछ हिस्सों में आवाज नहीं आएगी बावजूद इसके बुधिया एक नया कीर्तिमान जरूर स्थापित करेगी। आपको बता दें फिल्म आज से फिर थिएटर पर शुरू हो रही है।
फिल्म पर विवाद शुरू होते ही
फिल्म को लेकर जैसे ही विवाद शुरू हुआ अविनाश तिवारी ने बेहद ही सरल भाषा में अपना पक्ष फेसबुक पेज के माध्यम से रखा। अविनाश द्वारा लिखा गया कि ” किसी एक व्यक्ति की भावना को भी अगर ठेस पहुंची हैं तो मैं उन सभी आदरणीय बंधुओ से क्षमा प्रार्थी हूं मेरा उद्देश्य क्षत्रिय समाज की भावनाओ को आहत करना नहीं था ब्राह्मण ,क्षत्रिय ,वैश्य, शूद्र हम सब एक शरीर के अंग हैं मेरे सभी सबसे प्रिय मित्र क्षत्रिय हैं मैं कभी भी क्षत्रिय समाज का अहित का विचार स्वप्न में भी नही कर सकता हमारा देश क्षत्रिय वीर भरत के नाम पर है क्षत्रियों का गौरवशाली इतिहास रहा है 552 रियासतो के सभी राजाओं ने देश के लिए अपनी संपत्ति पद कुर्बान कर दिया था तब देश बना क्षत्राणी माताओं के जौहर को कोई कैसे भूल सकता है मैं अगर मुझसे अनजाने में कोई चूक हुई है तो दिल से क्षमा प्रार्थी हूं भरपाई करूंगा मैं क्षत्रिय गौरव को लेकर एक फिल्म अवश्य बनाऊंगा जय भवानी , जय राजपुताना , साहब सलाम ,जय हिंद जय विंध्य “
लेकिन फेसबुक कि सैर में इतने भद्दे – भद्दे कमेंट मिले जिसे हम आपको दिखा नहीं सकते लेकिन इतना जरूर कहना चाहेंगे ” कि आखिर बॉलीवुड , भोजपुरी आदि जगहों में जो फिल्मे बनती हैं क्या उनमें विरोध जताने में डर लगता है ? ”
कल अविनाश तिवारी फिल्म्स जब नए – नए कीर्तिमान स्थापित करेगी , बघेली को राज्य से देश और विदेश तक पहुंचाएगी तब आप ही सब फिल्म को दिखा कर अपनी भाषा का अहसास दिलाओगे। तो फिर आज साथ क्यों नहीं आते ?????
विंध्य कि माटी का कर्ज उतारना है तो साथ आना होगा……
संवाददाता – ब्रह्मानंद त्रिपाठी बहरैचा