प्रशासन को आंख दिखा गीता गैस एजेंसी द्वारा किया जा रहा हितग्राहियों का खुलेआम शोषण, जिम्मेदार मौन

ब्रहमानंद त्रिपाठी, बहरइचा। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जो भारत सरकार की महती योजनाओं में से एक है। सभी को धुआं रहित ईंधन मिल पाए इस सपने को साकार करने के लिए उज्ज्वला योजना चलाई गई लेकिन जिन एजेंसियों को उज्ज्वला योजना के अंतर्गत गैस वितरण का कार्य सौपा गया उन्होंने खुली लूट मचा दी है। मामला है त्यौंथर तहसील का जहां तहसील मुख्यालय से कुछ किलोमीटर दूरी पर मौजूद चंदई गांव में ही गीता गैस एजेंसी का गोदाम बना हुआ है।

जहां उज्ज्वला योजना के तहत कनेक्शन देने के नाम पर हितग्राहियों को बुलाया जाता है और उनसे मोटी रकम वसूल कर उन्हे मुफ्त मिलने वाली योजना का लाभ पैसा लेकर दिया जाता है। मामला तब प्रकाश में आया जब त्यौंथर पूर्वांचल सोनौरी ग्राम के रावेंद्र हरिजन ने गीता गैस एजेंसी पर 2230 रुपए लेकर उज्ज्वला गैस का कनेक्शन देने का आरोप लगाया। लगाए गए आरोप की पड़ताल की गई तो चौकाने वाला सच सामने आया की शायद ही कोई हितग्राही बचा हो जिसने उज्ज्वला योजना के लिए पैसे ना चुकाए हों। गीता गैस एजेंसी से गैस लेने वाले कई लोगों के बयान जिसमे उनके द्वारा पैसे लेने की बात कही गई शोशल मीडिया पर तैर रहें हैं। जिस किसी हितग्राही का वीडियो या नाम शोशल मीडिया पर आया उन तक गीता गैस एजेंसी के दलालों ने दवाब बनाने का प्रयास भी किया।

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हैरानी की बात तो ये है की भाजपा पार्टी ने उज्ज्वला योजना को लेकर जोर शोर से प्रचार प्रसार किया है और आज भी पार्टी की महती योजनाओं में ही गिनवाई जाती है, तो फिर इतने बड़े मामले पर किसी जिम्मेदार अधिकारी नेता विधायक का ध्यान क्यों नही जा रहा या मंचों से घोषित मुफ्त योजनाएं जमीन पर हितग्राहियों का कितना शोषण कर रही है ये देखने और सुनने वाला कोई नही या फिर जिम्मेदार ही मलाई में हिस्सेदार है। ये जांच का विषय है क्योंकि शोशल मीडिया के माध्यम से जब त्यौंथर तहसील के लोगों से पूछा गया की कितने लोगों ने पैसे दिए हैं तो शोषित हितगाहियों का आंकड़ा सैकड़ा पार कर गया। यहां तक की गीता गैस एजेंसी द्वारा मामले की तहकीकात कर रहे पत्रकारों को भी अपमानित करने का प्रयास किया गया। अपनी पकड़ का हवाला देते हुए ऐसे समाचारों से कोई फर्क नही पड़ता जैसी बात भी कही, जिसका अर्थ यह निकल सकता है कि सर पर राजनैतिक व प्रशासनिक संरक्षण भी मिला हुआ है। पीड़ित हितग्राहियों का भी मानना है की बिना प्रशासनिक सांठ गांठ से सरकारी योजनाओं में इतना बड़ा झोलझाल संभव नही। पीड़ित हितग्राहियों ने जिला प्रशासन से मामले की जांच कर उचित कार्यवाही करने की मांग के साथ – साथ अपने पैसे भी वापस करने की अपील की है। अब देखना ये है की ये मामला भी जिम्मेदारों द्वारा दबा दिया जाएगा या गरीब हितग्राहियों के साथ न्याय होगा।

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