सोहागी पहाड़ : ढाई करोड़ के जुर्माने की नोटिस के बाद भी हालात बदसे बदतर

सोहागी पहाड़ में फिर हुई भीषण दुर्घटना

रीवा जिले के मनगवां से चाकघाट वाया सोहागी से गुजरने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 30 की बहुचर्चित सड़क पर दुर्घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसे दुर्घटना भी नहीं कहा जा सकता क्योंकि यदि सुनियोजित ढंग से आमजन और परिवहन करने वाले लोगों को मौत के घाट उतारे जाने का षड्यंत्र कहें तो यह अतिशयोक्ति बिल्कुल नहीं होगा। क्योंकि दुर्घटनाएं तो कभी कभार ऐसे ही हो जाया करती हैं लेकिन सोहागी पहाड़ में जिस तरह बंसल कंपनी के द्वारा एमपीआरडीसी की सड़क बनाए जाने के बाद निरंतर सैकड़ो और यहां तक की हजारों लोग दुर्घटना में घायल हो रहे और कई सैकड़ा मारे गए हैं इससे साफ जाहिर है कि यह दुर्घटना नहीं बल्कि लोगों को मारने का एक सुनियोजित षड्यंत्र है जिसमें निर्माण कंपनियों का साथ सत्ता में बैठे हुए कुछ लोग और शासन प्रशासन दे रहा है।

ढाई करोड़ के जुर्माने की नोटिस के बाद भी हालात बदसे बदतर
गौरतलब है की सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा लगाई गई आरटीआई में जानकारी प्राप्त हुई थी की उनकी शिकायत पर एमपीआरडीसी रीवा ने बंसल पाथवेज कंपनी पर 2 करोड़ 55 लाख रुपए के जुर्माने का नोटिस जारी किया था। जुर्माना भरा गया अथवा नहीं यह तो भगवान जाने लेकिन एक बात तय है कि सड़क की डिजाइन गुणवत्ता और उसकी ज्यामिति में कोई सुधार नहीं हुआ और नतीजा यह है कि आए दिन दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।

पांच सदस्यीय जांच दल की रिपोर्ट भी खटाई में :
गौरतलब है की तत्कालीन कलेक्टर मनोज पुष्प के समय पर सोहागी पहाड़ में हो रही दुर्घटनाओं को लेकर एक पांच सदस्यीय जांच दल का भी गठन किया गया था जिसकी अगवाई रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज रीवा के एक प्रोफेसर के द्वारा की गई थी जिसमें एमपीआरडीसी के इंजीनियर और सहायक महाप्रबंधक भी सम्मिलित थे। लगभग 15 से 20 पन्ने की जांच रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर निर्माण कंपनी बंसल पाथवेज को खराब डिजाइन और घटिया ज्यामिति एवं घटिया गुणवत्ता के लिए दोषी ठहराया गया था और कई सुझाव दिए गए थे जिस पर यदि अमल किया जाता तो आज ऐसी स्थिति निर्मित नहीं होती जब आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है।

कलेक्टर की मजिस्ट्रियल जांच कहां गई किसी को पता नहीं :
तत्कालीन कलेक्टर मनोज पुष्प के द्वारा एक मजिस्ट्रियल जांच भी बैठाई गई थी जो एडिशनल कलेक्टर शैलेंद्र सिंह के द्वारा पूरी की जानी थी लेकिन उस जांच में आज तक सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के बयान तक नहीं लिए गए। हालांकि इस मामले में उनके द्वारा एडिशनल एसपी मऊगंज श्री विवेक लाल के समक्ष अपने बयान प्रस्तुत किए गए थे और साथ में एक लिखित फाइल एडिशनल कलेक्टर शैलेंद्र सिंह के समक्ष भी प्रस्तुत की गई थी जिसे उन्होंने अपना बयान बताया था लेकिन इसके बावजूद भी आज दिनांक तक मजिस्ट्रियल जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई इससे साफ जाहिर होता है कि पूरा प्रशासनिक सिस्टम किस प्रकार बड़ी-बड़ी कंपनियों के आगे पीछे घूमता है। भला ऐसे प्रशासनिक सिस्टम को आम आदमी की फिक्र कहां से होगी जो निर्माण कंपनियों की चौकीदारी करें।

सोहागी पहाड़ में फिर हुए बड़े हादसे ने खड़े किए कई सवाल :
सोहागी पहाड़ में एक बार फिर बड़ा हादसा हुआ है जिसमें दो ट्रक उन्ही डेथ स्पॉट के आसपास पलट गए हैं जहां पहले भी जांच टीम के द्वारा सुधार किए जाने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन सुधार तो दूर की बात है रोड में उतार चढ़ाव गड्ढे और सड़क बीचोबीच नालीनुमा आकृति तक आज तक ठीक नहीं की जा सकी जिसकी वजह से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है और मासूम लोग अपनी जान गवां आ रहे हैं।

एलिवेटेड रोड का कॉन्सेप्ट भी पड़ा खटाई में :
गौरतलब है की इसी सोहागी पहाड़ पर तत्कालीन कलेक्टर मनोज पुष्प के द्वारा दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एलिवेटेड पुल अथवा एलिवेटेड रोड की भी बात की गई थी जिसमें सोहागी घाटी के ऊपरी हिस्से से होते हुए बड़े-बड़े पिलर डालकर एक ऐसा ब्रिज और रोड बनाए जाने का प्रावधान रखा गया था जो सीधे पहाड़ी को पार कर निचले हिस्से पर मिला देता लेकिन इस एलिवेटेड रोड के कॉन्सेप्ट पर भी विचार नहीं किया गया और ऐसे कॉन्सेप्ट की डिजाइन अथवा प्रस्ताव बनाया गया अथवा नहीं इसका भी कोई अता पता नहीं है।

मामले पर सामाजिक कार्यकर्ता ने शासन प्रशासन पर फिर खड़े किए सवाल :
मामले को लेकर एक बार पुनः सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने चिरनिद्रा में पड़े हुए प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि यह सब प्रशासनिक अधिकारियों एमपीआरडीसी और बंसल पाथवेज कंपनी की जुगलबंदी का नतीजा है की आम नागरिकों के जीवन की परवाह किए बिना कंपनी को मालामाल करने के उद्देश्य से कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की जा रही है जिससे आमजन आए दिन इस प्रकार की कंपनी की सुनियोजित सड़क हादसों में अपनी जान गवा रहे हैं। उन्होंने कहा है कि शासन प्रशासन को इसकी समस्त जवाबदेही लेनी चाहिए।

बरसाती कीड़ों की तरह जनता के भले और उनके विकास की कसमे वादे करने वाले नेता अब पटल से गायब हो चुके हैं। अब गांव-गांव और नगर में गाड़ियों में बंधे चोंगे, हाथ में लिए हुए पंपलेट और कसमें खाते पांव पड़ते ये बरसाती नेता नहीं दिखेंगे। कारण साफ है क्योंकिविधानसभा चुनाव का सीजन अब जा चुका है और अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी जोर जुगत शुरू हो गई है। अब जनता मरे या उसके साथ कुछ भी हो इसकी भला अब किसको खैर है।

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