शिक्षा विभाग के लेखापाल के विरुद्ध ₹25000 का जुर्माना, गलत जानकारी देना पड़ा भारी

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने एक आदेश में स्पष्ट किया किया कि शासन में सभी कर्मचारी या अधिकारी को RTI के तहत अपने विरुद्ध हुई विभागीय कार्रवाई की जानकारी 30 दिन या 48 घन्टे में  प्राप्त करने का अधिकार है। सिंह ने ऐसे ही एक प्रकरण मे दस्तावेजो की जाँच करते हुए पाया कि शिक्षा विभाग ने शो काज नोटिस कर्मचारी को तामिली कराए बिना एक तरफ़ा कार्यवाई कर दी । सिंह ने इस प्रकरण मे गलत जानकारी देने वाले शिक्षा विभाग के लेखापाल के विरुद्ध ₹25000 जुर्माना लगा दिया है।

आरटीआई आवेदक ने मांगी थी यह जानकारी
आरटीआई आवेदक संजीव कुमार चतुर्वेदी शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं उनके द्वारा जिला रीवा शिक्षा विभाग से उनके विरुद्ध प्रेषित शो कॉज नोटिस की तामीली की रसीद चाही गई थी। इसके अलावा शो कॉज नोटिस के नोटशीट की प्रतिलिपि और आवक जावक रजिस्टर जहां पर नोटिस दर्ज है उसकी प्रति भी उनके द्वारा मांगी गई थी। पर संजीव को शो कॉज नोटिस की तामिली के बारे में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई वही बाकी बिंदुओं की जानकारी भी उन्हें RTI कानून में निर्धारित समय सीमा 30 दिन के उल्लंघन के बाद करवाई गई। 

बिना नोटिस हो गई कार्रवाई
शासन में विभागीय कार्रवाई करने के नियम है। जिस अधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई होती है उसे सबसे पहले शो कॉज नोटिस देकर जवाब तलब किया जाएगा। इस राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह  ने सुनवाई के दौरान जब आरटीआई आवेदक संजीव  कुमार चतुर्वेदी से पूछा क्या उन्हे शिक्षा विभाग से शो कॉज नोटिस प्राप्त हुआ था तो उन्होंने बताया कि यह नोटिस कभी उन्हें प्राप्त नहीं हुआ पर इसे उन्हें प्राप्त हुआ बताकर उनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही कर दी गयी, इसीलिए उन्होंने इसकी जानकारी आरटीआई में मांगी है। आयोग के समक्ष चतुर्वेदी ने कहा कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा ने एक आदेश जारी करके उनकी 3 वेतन वृद्धि और संचई प्रभाव से रोक दी। और इसी आदेश में यह भी लिखा था कि इनको शो कॉज नोटिस की तामिली हुई और उसका जवाब संतोषप्रद नहीं पाया गया। चतुर्वेदी के अनुसार उन्हें विभाग से कोई शो कॉज नोटिस की तामिली नहीं की गयी और ना ही उनके द्वारा कोई जवाब उक्त शो कॉज नोटिस के संबंध में दिया गया था।

आयोग की जाँच में खुली पोल
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने शिक्षा विभाग के संबंधित अधिकारी से पूछा कि शो काज नोटिस की पावती संजीव कुमार चतुर्वेदी को क्यों उपलब्ध नहीं कराई आरटीआई में तो उनका जवाब था कि जानकारी उपलब्ध नहीं है। आयोग द्वारा शिक्षा विभाग को स्पष्ट किया गया कि जानकारी उपलब्ध नहीं होने का आधार RTI आवेदक को उपलब्ध कराना होगा कि जानकारी किस कारण से उपलब्ध नहीं है सिर्फ यह कह देना मात्र प्राप्त पर्याप्त नहीं है कि वांछित जानकारी उपलब्ध नहीं है। इस प्रकरण में कर्मचारी को जारी शो कॉज नोटिस नियम अनुसार चाहिए और इसका पर्याप्त साक्ष्य विभाग के पास मौजूद होना चाहिए। इस गायब जानकारी के लिए आयोग द्वारा सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत जांच संस्थित की गई। आयोग के आदेश के अनुक्रम में जिला शिक्षा अधिकारी श्री गंगा प्रसाद उपाध्याय द्वारा जांच करने पर पाया गया कि श्री गजाधर प्रसाद वर्मा लेखापाल ने शो कॉज नोटिस की तामीली नहीं कराई। मामले में इस खुलासे के बाद जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा श्री गजाधर प्रसाद वर्मा के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई शुरू की गई है। आयोग द्वारा संस्थित जांच से स्पष्ट हुआ कि आरटीआई आवेदक श्री संजीव कुमार चतुर्वेदी को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से शो कॉज नोटिस जारी किया गया पर इसकी तामीली विभाग के कर्मचारी की लापरवाही के चलते नहीं हो पायी।

आयोग की जाँच में हुआ ये भी खुलासा
सिंह ने पाया कि प्रथम अपीलीय अधिकारी ने प्रकरण में लापरवाहीपूर्वक निराकरण करते हुए यह भी नहीं देखा कि आरटीआई आवेदन दिनांक 14/09/2020 में दायर हुआ था जबकि उसका निराकरण जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा पूर्व में ही दिनांक 24/08/2020 को दिखाया गया है। इनको अन्य बिंदु की जानकारी दी गई पर शो कॉज नोटिस की तामिली की रसीद के बारे में कोई भी जानकारी नहीं दी। वही प्रथम अपीलीय अधिकारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा ने भी प्रकरण का विधि विरुद्ध निराकरण करते हुए यह कहते हुए प्रकरण समाप्त कर दिया कि वांछित जानकारी दी जा चुकी है।

विभागीय कार्रवाई की जानकारी 30 दिन या 48 घन्टे के अंदर देनी होगी : सिंह

सूचना आयुक्त राहुल सिंह  ने कहां कि  किसी भी कर्मचारी या अधिकारी के विरुद्ध चल रही विभागीय शो कॉज नोटिस में हुई कार्रवाई की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार उक्त संबंधित कर्मचारी, अधिकारी को है। सिंह ने यह स्पष्ट किया कि संबंधित

कर्मचारी / अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 7 (1) के तहत 30 दिन के अंदर इस तरह की वांछित जानकारी प्राप्त करने के हकदार हैं। वहीं अगर प्रकरण उक्त अधिकारी या कर्मचारी के स्वयं के जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित है तो धारा 7 (1) के तहत उक्त जानकारी 48 घंटे के अंदर आरटीआई आवेदक को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। 

अधिकारी संवेदनशील तरीके से विभागीय कार्यवाही के संबंध में RTI आवेदनों का निराकरण करे
राहुल सिंह ने अपने आदेश में कहा कि विभाग में तैनात लोक सूचना अधिकारियों को संवेदनशील तरीके से विभागीय कार्यवाही के संबंध में आरटीआई आवेदनों का निराकरण करना चाहिए। सिंह ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को अपने विरुद्ध हो रही कार्रवाई में अपने बचाव के लिए पक्ष रखने की व्यवस्था नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के तहत है। इस तरह की जान्कारि र्दोष साबित करने के लिए बचाव का अधिकार उस व्यक्ति का मानव तथा मौलिक अधिकार है जो संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित है। (शिवानन्द द्विवेदी, आरटीआई कार्यकर्त्ता राष्ट्रिय)

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram
Email

Leave a Comment

ट्रेंडिंग खबर

ट्रेंडिंग खबर

today rashifal

हमसे जुड़ने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है... पोर्टल पर आपके द्वारा डाली गयी खबर/वीडियो की सभी जानकारी घटनास्थल और घटना का समय सही और तथ्यपूर्ण है तथा घटना की खबर आपके क्षेत्र की है।अगर खबर में कोई जानकारी/बात झूठी या प्रोपेगेंडा के तहत पाई जाती है तो इसके लिए आप ही ज़िम्मेदार रहेंगे।