खाद्य विभाग के सर्वर की समस्या से जूझ रहे गरीब उपभोक्ता, गंगेव जनपद और सम्पूर्ण रीवा की अधिकतर राशन की दुकानों में सर्वर और देरी से खाद्यान्न सप्लाई की समस्या के कारण नहीं मिल पा रहा खाद्यान्न
गंगेव, रीवा। रीवा जिले की अधिकतर शासकीय राशन की दुकानों में देरी से खाद्यान्न पहुंचने के साथ – साथ अब सर्वर की भी समस्या सामने आ रही है। पुराने वर्ष से नए वर्ष 2023 में पदार्पण के साथ नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर और सर्वर से संबंधित तकनीकी अधिकारी इतने मशगूल हैं कि उन्हें आम गरीब जनता की समस्या नहीं दिख रही है। जाहिर है हैदराबाद और बेंगलुरु से संचालित होने वाले इन तकनीकी सर्वरों में नए वर्ष 2023 की छुट्टियों के कारण आम जनता को भारी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है और गरीब व्यक्ति खाद्यान्न से वंचित हो रहा है। एक तरफ जहां सरकारी अधिकारी और शासन सत्ता में बैठे लोग नए वर्ष की छुट्टियों और पिकनिक में मस्त हैं वही गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली आम जनता एक-एक दाने के लिए मोहताज हो रही है।
तत्कालीन मामला गंगेव जनपद और रीवा जिले का है। जहां सर्वर की समस्या के चलते गरीब जनता को शासकीय उचित मूल्य की दुकानों से राशन नहीं मिल पा रहा है। बताया गया कि दिसंबर माह में शासकीय राशन की दुकानों में 27 दिसंबर के उपरांत खाद्यान्नों की लेट डिलीवरी की गई है। लेटलतीफी के चलते और सर्वर की समस्या की वजह से गरीब जनता को खाद्यान्न मिलने में दिक्कत हो रही है। ग्रामीणों ने मामले की जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी को दी जिसके बाद मामले की जानकारी खाद्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों फूड इंस्पेक्टर, फूड कंट्रोलर और जिला कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों को दी जा चुकी है।
एक नज़र इस पर भी
सवाल यह उठता है कि शासन – प्रशासन द्वारा मध्य प्रदेश को लेकर विकास के निरंतर दावे किये जा रहे हैं। कभी स्मार्ट सिटी तो कभी स्मार्ट गांव बताये जा रहे हैं तो फिर तकनिकी विकास को लेकर ऐसी व्यवस्थाओं को अपने ही शहरों में विकसित करने में क्या समस्या है ?
इससे प्रदेश में तकनिकी अनुसन्धान स्थापित होंगे और नौकरियाँ भी बढ़ेंगी। जिसकी वजह से दूसरों पर निर्भरता काम हो जाएगी।
- शिवानंद द्विवेदी