उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर) के अवसर पर प्रदेशवासियों को स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने का संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध हमारे दैनिक जीवन, विचारधारा और दिनचर्या से होता है। स्वस्थ मानसिक स्थिति के लिए योग, प्राणायाम, और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। नियमित योग और प्राणायाम तनाव को कम करने, मानसिक शांति बनाए रखने और हमारे जीवन में सकारात्मकता लाने का प्रभावी साधन है।
उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने वैदिक जीवनशैली और आहार संबंधी आदतों पर जोर देते हुए कहा कि संतुलित आहार और सात्विक जीवन शैली न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी होते हैं। शुद्ध और पौष्टिक आहार का सेवन हमारे मन को शांत और स्थिर रखता है। उन्होंने कहा कि ताजगी भरे भोजन और नियमित दिनचर्या का पालन करते हुए हम मानसिक तनाव और अवसाद से बच सकते हैं। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। मानसिक तनाव, चिंता, अवसाद और अन्य भावनात्मक समस्याएं किसी भी व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। इन लक्षणों को पहचानना और सही समय पर डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सहायता लेना बेहद जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के प्रति जागरूक रहें और किसी भी प्रकार की समस्या होने पर इलाज कराने में संकोच न करें। सही मार्गदर्शन और उपचार से आप स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस प्रति वर्ष 10 अक्टूबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और मानसिक विकारों से ग्रस्त लोगों के प्रति सहानुभूति और सहायता प्रदान करना है। इस वर्ष की थीम ‘मानसिक स्वास्थ्य को कार्यस्थल पर बढ़ावा देने’ से संबंधित है। प्रदेश में 10 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक मानसिक स्वास्थ्य माह का आयोजन किया जाएगा। जिसमें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए स्वास्थ्य शिविर आयोजित होंगे। शिविरों में स्क्रीनिंग, उपचार एवं परामर्श सेवाएं दी जाएगी। मानसिक समस्या से ग्रस्त व्यक्तियों के देखभालकर्ताओं हेतु जागरूकता सेमिनार आयोजित किए जाएंगे। गर्भवती एवं धात्री महिलाओं के लिए विशेष मानसिक स्वास्थ्य स्क्रीनिंग शिविर आयोजित होंगे।कार्य स्थल पर मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के विषय पर उन्मुखीकरण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के लिए स्कूल, कॉलेज, ओल्ड एज होम, पुलिस विभाग जैसे विभिन्न संस्थानों में सेमिनार आयोजित किए गए हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेष शिविरों में मानसिक रोगियों की स्क्रीनिंग और काउंसलिंग की जाती है। मानसिक स्वास्थ्य साक्षरता बढ़ाना और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता पर जागरूकता लाने के लिए “मनहित” ऐप लांच किया गया है। “मनहित” ऐप तीन खंडों में विभाजित है: मानसिक स्वास्थ्य स्व-मूल्यांकन, जागरूकता सामग्री, और संपर्क सुविधा। 18 वर्ष से कम और अधिक आयु के व्यक्ति या उनके अभिभावक व्यवहार संबंधी समस्याओं की जांच कर सकते हैं। स्व-मूल्यांकन के आधार पर, ऐप तनाव, चिंता, अवसाद, मादक द्रव्यों के सेवन आदि के लिए मार्गदर्शन और जागरूकता सामग्री प्रदान करता है। यह उपयोगकर्ताओं को टेली-मानस, मनकक्ष, और अन्य मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ता है।