सोहागी पहाड़, रीवा। मध्य प्रदेश में लगातार पत्रकारों की आवाज दबाने की कोशिश चल रही है। कभी कोई माफ़िया ट्रैक्टर चढ़ाने का प्रयास करता है तो कभी कोई आरटीओ कर्मचारी पत्रकार की कलम को बंद करने की कोशिश करता है। लेकिन ना जाने ऐसे हादसों के बाद भी शासन – प्रशासन उदासीन क्यूँ रहता है? जबकि हाल फ़िलहाल में ही सोहागी पहाड़ हादसे में 15 लोगों ने अपनी जान गँवा दी थी और 35 से ज़्यादा लोग ज़ख़्मी हैं।
ऐसा क्या छुपा है चेक पोस्ट सोहागी में
घटना आज दोपहर तक़रीबन 12 बजे के आस-पास सोहागी पहाड़ आरटीओ चेकपोस्ट की है। जहाँ दो पत्रकार कमलेश शुक्ला एवं दिनेश द्विवेदी जी के साथ बदसलूकी की गई और साथ ही मोबाइल माइक तोड़ने की धमकी भी दी गई है। जो की उनके मोबाइल में रिकॉर्ड फ़ुटेज में स्पष्ट सुनाई भी दे रहा है।
अब इस घटना के बाद बड़ा सवाल यह उठता है कि ऐसा क्या छुपा है इस सोहागी चेक पोस्ट में जो कोई भी कर्मचारी सिर्फ़ डरा-धमका के और बदसलूकी के साथ ही बात करता है। आख़िर किसकी सह में इतनी बड़ी अवैध वसूली का कारोबार चल रहा है?
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क्या है पूरा मामला
आपको बताते चलें कि घटना आरटीओ चेक पोस्ट सोहागी चाकघाट जो की झिरिया टोल प्लाजा के पास स्थित है, कि है। दो पत्रकार अपने भ्रमण के दौरान सोहागी गौशाला में ख़बर संग्रहण के लिए गए हुए थे। जिसके बाद भ्रमण करते हुए चेक पोस्ट पहुंचे, तो वहां पर गाड़ियों की लाइन लगी हुई थी और उन्होंने देखा की चेक पोस्ट पर मौजूद कर्मचारी ड्राइवरों से घुड़की भरे शब्दों में बातें कर रहे थे। तभी पत्रकार ने वहां पर मौजूदा व्यक्ति से जानना चाहा कि आप लोग ड्राइवरों के साथ ऐसे ऊंची आवाज में बात क्यों करते हैं ? जिसके बाद चेक पोस्ट में बैठा कर्मचारी दूसरी और इशारा करते हुए कहते हैं “साहब आ रहे हैं उनसे बात करिये”
जब पत्रकारों ने बताये गए अधिकारी के तरफ कैमरा घुमाया तो वो भड़क उठे और धमकियाँ देने लगे। जिसमें उन्होंने मोबाइल माइक तोड़ने की धमकी दी और पत्रकारों से सीधे भिड़ बदसलूकी करने लगे। मिली जानकारी के अनुसार उनके द्वारा कैमरा भी छीनने की कोशिश की गई। पत्रकार द्वारा लगातार निवेदन किया जाता रहा लेकिन वह व्यक्ति जिसे चेक पोस्ट कर्मचारियों द्वारा अधिकारी बताया गया “लगातार गुंडई दबंगई दिखा पत्रकारों के साथ दुर्व्योहार करता रहा।”
“आपको बता दें पत्रकार के पास गले में उनका आई डी कार्ड और हाँथ में माइक मौजूद था।”
अगर पत्रकार के साथ ये व्यवहार तो आम नागरिकों का क्या होता होगा
कई बार दबी जुबान में ड्राइवरों एवं आम व्यक्तियों के साथ हो रहे बर्ताव को लेकर खबरें चलीं और शायद छोटी – मोटी जाँच के बाद सब रफा-दफा कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक चेक पोस्ट में किसी भी व्यक्ति के पास आईडी कार्ड नहीं है और ऐसा क्यों ये आरटीओ ही बेहतर बता सकता है।
लेकिन एक जानकरी के मुताबिक बड़ी खबर यह है कि चेक पोस्ट में आरटीओ द्वारा नियुक्त सरकारी कर्मचारी दफ्तर के अन्दर लुंगी – बनियान में आराम कर रहे होते हैं और बाहर चेक पोस्ट में निजी कर्मचारी “जो शायद दैनिक वेतन भोगी या ना जाने कौन हैं “ बैठते हैं और जमकर पैसे ऐंठते हैं।
एक नजर इस पर भी
हाल ही में 15 लोगों कि जान इसी सोहागी पहाड़ में गई थी। और इतना ही नहीं तक़रीबन 40 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे। तब लोगों ने आरटीओ सोहागी, चाकघाट पर आरोप लगाया था कि आरटीओ द्वारा अवैध वसूली कर ओवरलोड बस को जाने दिया गया होगा। अब इस बात में कितनी सच्चाई है इसकी अगर निष्पक्ष जाँच हो तो शायद बहुत कुछ सामने आएगा।
लेकिन सोहागी पहाड़ में लगातार हो रहे हादसे कहीं ना कहीं सिस्टम कि बड़ी लापरवाही की ओर इशारा कर रहे।
फ़िलहाल जिला कलेक्टर रीवा का ध्यान इस ओर कब जाएगा और ऐसे चेक पोस्ट पर गुंडागर्दी कब खत्म होगी, पत्रकार के साथ हुई बदसलूकी का क्या निष्कर्ष निकलता है ? यह तो वक्त ही तय करेगा।