मप्र के रीवा जिले की नईगढ़ी जनपद की जिलहडी पंचायत का 68 लाख के घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर है। मामला बड़ा ही गंभीर है। जिलहडी से शिकायतकर्ताओं सुधाकर सिंह गहरवार बंसपति द्विवेदी जगदीश सिंह गहरवार और देवेंद्र बहादुर सिंह गहरवार ने बताया की उन्होंने सामूहिक तौर पर अपने ग्राम पंचायत में हुए व्यापक स्तर के भ्रष्टाचार की कई वरिष्ठ कार्यालयों में शिकायत की थी जिसके बाद मामले की जांच त्यौंथर एसडीओ एसआर प्रजापति और सीईओ जनपद नईगढ़ी से दो बार कराई गई जिसके बाद दोनो मर्तबा 68 लाख की वसूली और कार्यवाही प्रस्तावित की गई। लेकिन सीईओ जिला पंचायत ने तीसरी बार जांच कराई और जांच उपयंत्री प्रवीण पाण्डेय द्वारा कराई गई जो की इस मामले के एक आरोपी भी हैं और जिनके नाम पर लगभग 15 लाख की वसूली भी बनाई गई है। सवाल यह था कि क्या स्वयं आरोपी रहे उपयंत्री से ही अपनी ही जांच कराई जा सकती है? लेकिन ऐसा ही किया गया नतीजतन आरोपी ने पूरे मामले पर लीपापोती कर दी और वसूली को 68 लाख से 100 गुना से भी अधिक कम करके मात्र 56 हजार कर दिया।
अब जब मामला सीईओ जिला पंचायत रीवा की धारा 89 की कोर्ट में चला तो उक्त चारों शिकायतकर्ताओं ने आपत्ति की और कहा कि उन्हें बंद कमरे में हुई तीसरी जांच का कोई पता नहीं और वसूली अवैधानिक तरीके से कम की गई है। अतः एसआर प्रजापति की 68 लाख वसूली वाली जांच को ही मान्य किया जाय अथवा उच्चस्तरीय जांच टीम गठित कर अलग से जांच कराई जाय। इस प्रकार फिर चौथी बार जांच टीम का गठन किया गया और जनवरी 2024 से यह चौथी जांच भी लंबित पड़ी हुई है। चौथी जांच रिपोर्ट न आने की वजह सीईओ जनपद नईगढ़ी कल्पना यादव द्वारा जांच संबंधी आवश्यक अभिलेख उपलब्ध न कराया जाना बताया जा रहा है। पर बड़ा सवाल यह है कि आखिर सीईओ जिला पंचायत रीवा के बार बार दिशानिर्देशों के बाद भी आखिर सीईओ जनपद नईगढ़ी आवश्यक अभिलेख क्यों उपलब्ध नहीं करा रहीं? 68 लाख की वसूली को 56 हजार बनाए जाने और फिर चौथी जांच को बार बार प्रभावित किए जाने में आखिर किसकी रुचि हो सकती है? जाहिर है इस पूरे घोटाले में ऊपर से लेकर नीचे तक संलिप्तता वाले नही चाहते की पंचायतों में वास्तविक ग्राम स्वराज और पंचायतीराज व्यवस्था की स्थापना हो और आमजन के विकास के लिए आने वाली राशि का सही उपयोग हो। अब जहां तक सवाल जिला पंचायत की भूमिका का है तो वहां धारा 40/92 शाखा देखने वाले बाबुओं से लेकर सुनवाई करने वाले तथाकथित जज भी जांचों और कार्यवाही में पर्दा डालने में ही लगे रहते हैं। वर्तमान सीईओ जिला पंचायत रीवा के कार्यकाल में अभी तक कोई बड़े वसूली आदेश पारित नहीं हुए और न ही वसूली करवाई जा सकी है और मात्र जांच पर जांच और पेशी दर पेशी ही चल रही हैं। चलिए गंगेव जनपद की सेदहा और चौरी के बहुचर्चित मामले को लें तो देखते हैं की इनमे क्रमशः अब तक 27 लाख और 43 लाख इस प्रकार कुल 70 लाख की वसूली अधिरोपित होकर बड़े मुश्किल से धारा 89 के तो आदेश हुए लेकिन सीईओ जिला पंचायत की निष्क्रियता अथवा जो भी वजह कहें अब तक इन मामले में भी आगे कुछ नहीं हो पाया। अभी पिछले दिनों जिन 72 पंचायतों में 1 करोड़ 89 लाख के आरआरसी और कुर्की जारी किए जाने की बातें सामने आई हैं और वर्तमान रीवा जिला कलेक्टर और जिला सीईओ वाहवाही लूटने में पड़े हैं वह वर्तमान सीईओ जिला पंचायत के कार्यकाल की नही हैं बल्कि पूर्व कलेक्टर डॉक्टर इलैयाराजा टी के कार्यकाल में किए गए उनके ताबड़तोड़ निर्णयों से संबंधित पुराने मामले रहे हैं।
बताते चलें की वर्ष 2022 के पहले मप्र पंचायत राजा की धारा 89 और 40/92 की कार्यवाही की शक्ति जिला कलेक्टर के पास सन्निहित थी तब डॉक्टर इलैयाराजा टी ने बड़े पैमाने पर वसूली और पद से पृथक करने के आदेश जारी किए थे। पंचायती चुनाव के दौरान तो दर्जनों दोषी सरपंचों को 6 वर्ष के लिए चुनाव लडने से भी बैन कर दिया था।
अभी भी वर्तमान सीईओ जिला पंचायत एवं जिला कलेक्टर रीवा से पंचायतों में हो रहे व्यापक भ्रष्टाचार पर बड़ी कार्यवाही की मात्र आशा ही की जा सकती है। बहरहाल अभी तक तो सब अंधेरा ही दिख रहा है अब देखिए आगे क्या कमाल होता है।