पंचायत इंस्पेक्टर हो गए सीईओ से भी ऊपर, नहीं सुनते सीईओ के आदेश

शिवानंद द्विवेदी, रीवा। जिला पंचायत रीवा में मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993-94 की धारा 89 की सुनवाईयां चल रही हैं लेकिन इन सुनवाई में अभी भी काफी कमियां है जिसको लेकर सामाजिक एवं आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने सवाल खड़े किए हैं।

आखिर क्या है पंचायत राज अधिनियम की धारा 88, 89, 40 और 92?

गौरतलब है कि ग्राम पंचायत में पंचायती भ्रष्टाचार गबन और अनियमितता को लेकर मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993-94 का गठन किया गया था जिसमें ग्राम पंचायत के क्रियाकलाप उनके कार्य प्रणाली, निर्माण कार्य, व्यवस्था संचालन से लेकर हो रही गड़बड़ियों की निगरानी करने के लिए नियम और कानून बनाए गए थे। उसी के तहत यदि ग्राम पंचायत में गड़बड़ियों की शिकायत मिलती है तो धारा 88 के तहत सक्षम अधिकारी को पूर्ण गड़बड़ियों की जांच करवाए जाने का अधिकार प्राप्त है। जब धारा 88 के तहत गड़बड़ियों की जांच होकर मामला धारा 89 की सक्षम प्राधिकारी की अर्धन्यायिक व्यवस्था की सुनवाई के लिए आता है तो वहां पर सभी पक्षों को विधिवत सुना जाता है। धारा 89 की सुनवाई होने के उपरांत धारा 40 और 92 के आदेश जारी किए जाते हैं जिसमें धारा 40 के तहत लोक सेवक को पद से पृथक किया जाना एवं धारा 92 में किए गए गबन और भ्रष्टाचार की वसूली एवं दंडात्मक कार्यवाही किए जाने का प्रावधान रहता है।

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रीवा जिले में धारा 89 की सुनवाई में निचले स्तर के अधिकारी निरंतर कर रहे अवमानना

गौरतलब है की मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम की धारा 89 की सुनवाई के दौरान दोषी पाए गए पक्ष को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किए जाते हैं जिसमें पंचायत में हुई गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार के पक्ष और विपक्ष दोनों ही दलों को अपनी बात लोक प्राधिकारी एवं सक्षम न्यायालय सीईओ जिला पंचायत के समक्ष प्रस्तुत करने होते हैं। रीवा जिले में वास्तव में हो यह रहा है की मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सौरभ संजय सोनवडे धारा 89 की सुनवाई नोटिस जारी तो कर रहे हैं लेकिन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत एवं ब्लॉक समन्वयक अधिकारी न तो सुनवाई के दौरान उपस्थित रहते हैं और न ही उन नोटिस की तामिली करवा पा रहे हैं जिससे धारा 89 की सुनवाई की पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर जिला पंचायत सीईओ जो कि इस मामले में एक सक्षम न्यायालयीन अधिकारी हैं उनके आदेश की निरंतर हो रही अवमानना पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है। हालांकि मामले पर सुनवाई के दौरान कई बार सीईओ जिला पंचायत ने बड़े ही कड़े शब्दों में सीईओ जनपद और बीपीओ को निर्देश जारी किए हैं और अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए भी कहा है हालाकि अभी तक सब जुबानी जमा खर्च ही है कोई सार्थक कार्यवाही नही हुई है।

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