22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इस पावन बेला पर देशभर से साधू संत शामिल होने वाले हैं। इसी कड़ी में देश की जानी-मानी फायर ब्रांड साध्वी देवी ऋतंभरा की 60 वर्षीय शिष्या साध्वी शिरोमणि ने एक अनोखा प्रण लिया है। जिसके तहत नर्मदा तट गौरी घाट जबलपुर में रहने वाली 60 वर्षीय साध्वी बाइक से तक़रीबन 650 किलोमीटर की यात्रा करके अयोध्या पहुंचेगी और अयोध्या पहुंचकर सरयू जी को नर्मदा का जल अर्पित करेंगी। वहीं रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के बाद पुनः वापस 650 किलोमीटर की बाइक यात्रा कर वे सरयू का जल लाकर जबलपुर में माँ नर्मदा को अर्पित करेंगी। साध्वी शिरोमणि अपनी एक सहयोगी अंजलि मिश्रा के साथ दुपहिया वाहन चलाकर मकरसंक्रांति पर रीवा ज़िले के जनपद त्योंथर पहुंची जहां नगर परिषद चाकघाट के बघेड़ी क्षेत्र में रपहुंचते ही हिंदू संगठनों के साथ – साथ क्षेत्र के माने जाने समाज सेवी एवम् मीडिया कर्मी द्वारा साध्वी शिरोमणि और उनकी सहयोगी अंजली मिश्रा का पुष्प अर्पण से जोरदार स्वागत किया गया।
साध्वी शिरोमणि जी ने बताया कि वो मां नर्मदा जी की प्रेरणा से दुपहिया यात्रा कर रही हैं और राम जन्मभूमि न्यास की ओर से प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का आमंत्रण भी प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया, मैं लंबे समय से राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़ी रही हूं। उन्होंने बताया कि मैं राम मंदिर के आंदोलन में कठिन संघर्ष करने वाली मां ऋतंभरा देवी की शिष्या हूं। मेरा वर्तमान नाम साध्वी शिरोमणि है और पहले मेरा नाम जयश्री था। मैं 1990 में विश्व हिंदू परिषद की दुर्गा वाहिनी की महाकौशल प्रांत की संयोजक बनी और 1992 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान कर सेवकों की सेवा का कार्य भी किया। इसी दौरान मेरा जुड़ाव देवी ऋतंभरा से हो गया और मैं उन्हें अपना धार्मिक गुरु मानते हुए जय श्री से साध्वी शिरोमणि बन गई और इसी संघर्ष के तहत आज मैं इस पावन पर्व की साक्षी बनने जा रही हूँ। उन्होंने ने आगे कहा कि मैंने प्रण लिया है कि मैं बाइक यात्रा के माध्यम से ही जगह-जगह पर रामभक्ति की अलख जगाते हुए अयोध्या पहुंचकर नर्मदा जी का जल सरयू को अर्पित करूंगी। जिसके बाद अयोध्या से भी सरयू जल लाकर मां नर्मदा को अर्पित करूंगी। रूट चार्ट के अनुसार साध्वी शिरोमणि जबलपुर से कटनी होते हुए रीवा पहुंची और रीवा से उसी दुपहिया के माध्यम से मक्रासंक्रांति पर बघेड़ी चाकघाट पहुँची। आगे सुल्तानपुर से नंदीग्राम पहुंचकर अंत में अयोध्या जी पहुंचना है और प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी बनना है।