पिछले कई ख़बरों में आपने मऊगंज और हनुमना के बांधों की दुर्दशा देखी है. हमने आपको ग्रामीणों और किसानो से चर्चा कराई. इस बीच आपने जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड वरिष्ठ अधीक्षण अभियंता और चीफ इंजिनियर को भी सुना।
किसानों ने बताया बिना पानी के ही पनकट की चल रही वसूली
हम अब आपको इस एपिसोड में मिलवाएंगे स्थानीय किसान सुखवंत पाण्डेय से जो जल संसाधन विभाग की तानाशाही के बारे में आपको और अधिक जानकारी देंगे। सुखवंत पाण्डेय ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हए कहा की नहर से तो उनको पानी मिल नहीं रहा लेकिन ऊपर से यदि वह सीधे बाँध अथवा किसी नाले में मोटर पंप डालकर सिंचाई कार्य करते हैं तो जल संसाधन विभाग खुद का पानी बताकर पनकट के नाम पर इसका भी पैसा वसूल रहा है जो पूरी तरह से उपभोक्ता नियमों के भी विपरीत है। उन्होंने मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से किसानो की इन समस्याओं को ध्यान देने के लिए कहा है।
एक्यूडक्ट की विंग गायब, वरिष्ठ इंजिनियर ने कहा इंजीनियरिंग का ऐसा नमूना पहले कभी नहीं देखा
उपस्थित अधीक्षण अभियंता बाणसागर नागेन्द्र मिश्रा ने बताया की ऐसा घटिया इंजीनियरिंग का नमूना देखकर उनका दिमाग गच्चा खा गया। जाहिर है यह सब अपना जमीर बेंच चुके इंजिनियर और भ्रष्ट ठेकेदारों की करामात का नमूना है। गौरतलब है की हनुमना क्षेत्र के कई बांधों और नहरों के कार्य ठेकेदार विजय मिश्रा द्वारा किये गए हैं। इंजिनियर नागेंद्र मिश्रा ने बताया की नहर की एंट्री हैंग है जिसका मतलब यह है की वह टूटकर काम करना बंद कर दिया है। एक्यूडक्ट की विंग गायब होने के पीछे उन्होंने कहा की यह भ्रष्टाचार की इबारत है। उन्होंने बताया की जो घटना सुपर पैसेज में देखने को मिली जहाँ नाला और नहर की आपस में टकराव की वजह से नहर डैमेज हुई वही यहाँ एक्यूडक्ट के ऊपर से जाते नाले में भी देखा गया। अधीक्षण यंत्री ने बताया की स्लूस के चलते दिक्कत हुई है जिसमे नहर के बेड लेवल और इन्वर्ट लेवल क्या हैं यह जांच का विषय है. जब तक जांच नहीं होती और इन भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही नहीं होती तब तक किसानो की आय दुगुनी तो दूर यदि उनकी मूल लागत भी मिल जाए तो बड़ी बात होगी।
जूड़ा-टटिहरा बाँध से बमुश्किल एक किमी में ही नहर ख़त्म
पूरे निरीक्षण के दौरान देखा गया की जूड़ा-टटिहरा बाँध के पानी निकासी के लिए बनाए गए स्लूस से प्रारंभ होकर लगभग एक किलोमीटर के भीतर ही नहर टूट गयी है। नहर और नाले के बीच सुपर पैसेज और नाले बीच में टकराव होने से और गुणवत्तायुक्त कार्य न होने से और रास्ता न बनाए जाने के कारण नहर जगह-जगह टूटी है। कई स्थानों पर नहर का लेवल मेन्टेन नहीं हुआ जिससे पानी नीचे से ऊपर की ओर भेजा जा रहा है जो फ़ैल इंजीनियरिंग का नमूना है। इसी प्रकार नहरों के बीच फंसी हुई चट्टान को भी नहीं तोड़ा गया। ऐसे ही नहर के बीच मिटटी का ढेर भी पानी निकासी में बाधा उत्पन्न किया। इस प्रकार दस भर पूर्व बनाई गयी जूड़ा-टटिहरा बाँध से जुडी हुई नहर अपने अस्तित्व की तलास में लगी हुई है और कमीशनखोर इंजिनियर मजे मार रहे हैं। अब तक के इस पूरे सीरीज और एपिसोड से एक बात तो स्पष्ट हो गयी की जल संसाधन विभाग को जो भ्रष्टाचार का गढ़ कहा जाता है वह बिलकुल गलत नहीं है।
अब आइये आपको बाँध और नहर से जुड़े कुछ और विडियो दिखाते हैं और सुनाते हैं विशेषज्ञ इंजिनियर इसके विषय में क्या कह रहे हैं और जूड़ा-टटिहरा बाँध के आसपास के किसानों का क्या कहना है।
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