कहानी सच्ची है : गौ माता का आशीर्वाद

गोबर को गौ माता का आशीर्वाद माना जाता है। इसलिए हम दिवाली के दूसरे दिन गोबर धन की पूजा करते है। गाय के गोबर से बने प्रतीक स्वरूप गोबर धन पर्वत की अराधना करते है। भगवान श्री कृष्ण ने इसी गोबर धन पर्वत को उठाकर वृंदावन के निवासियों को वर्षा के प्रकोप से बचाया था। कमला के लिए यही गोबर धन के रूप में प्रसाद बन आया है। श्रीमती कमला रातीबढ़ की रहने वाली है और घरेलू महिला थी और वे गोबर का उपयोग कंडे बनाने में करती थी या फिर घरों में त्यौहार के समय लीपा-पोती करने में गोबर का उपयोग होता था। गणेश आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद कमला का दृष्टिकोण बदल गया और उनकों गोबर धन भी हो सकता है इसकी सच्चाई मालूम हो गई। दीपावली के समय गोबर का उपयोग केवल शुभ काम के समय लीपने के बजाय और कुछ भी हो सकता है और धन लक्ष्मी को घर में लाया जा सकता है।

श्रीमती कमला ने इसका प्रशिक्षण लेकर गोबर के चरण कमल, दीपक, शुभ लाभ और गोबर गणेश की प्रतिमा बनाकर व्यवसाय शुरू किया उसको अलग-अलग रंगों में बनाकर बाजार में बेचने के लिए भेजा। विकासखण्ड फंदा से ग्राम रतीबड़ की कमला शर्मा, श्री गणेश आजीविका स्व सहायता समूह की सदस्य द्वारा उड़ान संकुल स्तरीय संगठन के माध्यम से इस त्यौहारी सीजन को मनाने का एक नया तरीका लेकर आये है। जहाँ गाय के गोबर, मुल्तानी मिट्टी और गेहूँ के आटे जैसे प्रकृति के अनुकूल पदार्थों से पर्यावरण के अनुकूल दिये और अन्य उत्पाद बनाने, मॉग व आपूर्ति को देखते हुये गोवर के दिये बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर गोबर के दिये बनाकर विक्रय का कार्य कर रही है और तीन माह में प्रत्येक माह 8 से 10 हजार की राशि घर में लक्ष्मी के रूप में आ रही है अपने व्यक्तिगत सामाजिक और आर्थिक जीवन में काफी बदलाव ला रही है। उत्पाद ऑनलाईन गोबर से बने भी विक्रय भी किए जा रहे हैं। हल्का वजन, पोर्टेबल,100 प्रतिशत शुद्ध और जैविक है। आकर्षक और सरल दोनों डिजाईनों में उपलब्ध, दीये एक शान्त करने वाली सुगंध छोड़ते है जिससे हवा शुद्ध होती है। दीये पूरी तरह से जलते हैं इसलिये, बचे हुये के प्रबंधन का कोई मुद्दा नही है। उत्पादों को प्राकृतिक खाद के रूप में मिट्टी में मिलाया जा सकता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्पाद विशुद्ध रूप से समूह दीदी द्वारा बनाये गये है और इस प्रकार उनकी आजीविका और लाभ कमाने में वृद्धि हुई है। अंत में समस्त उत्पाद बाजार के व्यवसायियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते है । उत्पाद पहले से ही बिक्री के लिये उपलब्ध है और कई लोगो के घरों को एक सामाजिक जिम्मेदारी के साथ रोशन कर रहे है। जहाँ हम त्यौहारो को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मना सकते है। वर्तमान लेखन अंश इस बात को फैलाने का एक विनम्र पहल है । जो हमारे स्व सहायता समूहो के जीवन में सुन्दर बदलाव ला सकता है। इस दीवाली आमदनी पहले की अपेक्षा 8000-10000 रूपये प्रतिमाह हो रही है। (इस कहानी का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है। ये कहानी मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जारी कि गई है।)

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram
Email

Leave a Comment

ट्रेंडिंग खबर

ट्रेंडिंग खबर

today rashifal

हमसे जुड़ने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है... पोर्टल पर आपके द्वारा डाली गयी खबर/वीडियो की सभी जानकारी घटनास्थल और घटना का समय सही और तथ्यपूर्ण है तथा घटना की खबर आपके क्षेत्र की है।अगर खबर में कोई जानकारी/बात झूठी या प्रोपेगेंडा के तहत पाई जाती है तो इसके लिए आप ही ज़िम्मेदार रहेंगे।