सीईओ मामले में फंसे विधायक , क्या हो पायेगी गिरफ्तारी

रीवा, मप्र। सेमरिया विधानसभा के भाजपा विधायक केपी त्रिपाठी मुश्किलों में फंसे

मध्य प्रदेश के रीवा जिले की सेमरिया विधानसभा के भाजपा विधायक केपी त्रिपाठी की परेशानियाँ दिन – प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं। पहले भी कई मुद्दों को लेकर चर्चा में रहे विधायक केपी त्रिपाठी को कोर्ट ने सिरमौर जनपद पंचायत सीईओ एसके मिश्रा के साथ हुई मारपीट मामले का आरोपी माना है। आपको बताते चलें विधायक केपी त्रिपाठी के ऊपर कई गैर जमानती धाराएं भी लगाई गई हैं , जिसकी वजह से उनकी मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं।

क्या है मामला
जानकारी के मुताबिक सेमरिया विधायक केपी त्रिपाठी के खिलाफ 120 बी 341 342 294 147 148 149 353 332 325 333 की धारा के तहत मामला दर्ज करने का आदेश न्यायालय ने दिया है। सूत्रों के मुताबिक विधायक केपी त्रिपाठी को बचाने में लगी थी पुलिस, जिस पर न्यायालय ने पुलिस को भी फटकार लगाई है। न्यायालय का स्पष्ट मानना है कि केपी त्रिपाठी की भूमिका भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के साथ धारा 341 342 294 147 148 149 353 332 325 335 अपराध में संज्ञान लेने हेतु पर्याप्त आधार है। इस आधार पर विधायक केपी त्रिपाठी के विरुद्ध उक्त धाराओ का संज्ञान लिया जाता है और अभियुक्त केपी त्रिपाठी विधायक सेमरिया को सम्मन जारी किया गया। प्रकरण में अभियुक्त अंकित विश्वकर्मा एवं अभियुक्त के पी त्रिपाठी की उपस्थिति एवं अनुसंधान की प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत के लिए 8/12/ 2022 न्यायालय में पेश होने का भी सिरमौर न्यायालय ने आदेश दिया है।

कोर्ट ने पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए पुछा , ” जब तुम्हारे पास पर्याप्त सबूत थे तो विधायक को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया ? “

एक ऑडियो ने बिगाड़ दिया खेल
जनपद पंचायत सिरमौर सीईओ एसके मिश्रा पर 16 अगस्त 2022 के दिन प्राणघातक हमला हुआ था। सूत्रों के मुताबिक हमला ऑडियो वायरल होने के बाद हुआ था, जिसमें सेमरिया विधायक केपी त्रिपाठी और सिरमौर सीईओ एसके मिश्रा की बहस हुई थी। लेकिन रीवा पुलिस ने इस मामले में आरोपियों को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था और कई लोगों को इस मामले से दूर रखा था। लेकिन कोर्ट ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया।

जनता का सवाल , कहाँ है मामा का बुलडोज़र
लंबे समय से मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा अपराधियों और अपराध पर नकेल कसने के लिए बुलडोज़र निति को लागू किया गया है। जिसमें कोर्ट कचेहरी में आरोप सिद्ध होने से पहले ही सरकार और प्रशासन द्वारा लोगों की सम्पत्तियों पर बुलडोजर चलवा दिया जाता है। और इस बात पर कई बार सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दम भी भरा है कि , ” अपराधी कोई भी हो , उसे बख्सा नहीं जायेगा। ”
जैसे ही विधायक पर सीईओ के साथ मारपीट करने का आरोप लगा , तो राजनीति ने भी करवट ले ली और विपक्ष ने भाजपा को घेरने का प्रयास तेज कर दिया। अब विपक्ष ने तंज कस्ते हुए पूंछा है कि , ” क्या मामा का बुलडोजर आरोपी के खिलाफ चलेगा, या सिर्फ दूसरे के लिए ही यह बुलडोज़र वाला नियम है ?”

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