आज रामनवमी है, यानी कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म दिवस। नवरात्रि की नौ दिवसीय आराधना के अंतिम तिथि रामनवमी को दिन के 12 बजे भगवान श्रीराम के जन्म लेने (अवतरित होने) की बात हम सब लोग सदियों से सुनते आ रहे हैं। श्रीराम की जीवनगाथा में अयोध्या एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है, जो उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में स्थित है। इस स्थान पर भगवान श्रीराम ने चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ के घर में अवतार लिया था। अयोध्या के इस राम जन्मभूमि पर लंबे संघर्ष के बाद इस वर्ष की रामनवमी भगवान श्री रामलला के जन्म भूमि स्थल पर भव्यता के साथ मनाई जा रही है। 500 वर्षों से रामलला की जन्म भूमि अयोध्या पर भगवान श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चल रहा संघर्ष अब समाप्त हो चुका है। आजादी के 75 वर्ष बाद रामलाल अब अपनी जन्मभूमि स्थल पर विराजमान होकर लोगों को दर्शन दे रहे हैं।
विंध्य अलर्ट का व्हाट्सप्प चैनल Click Here
माना जाता है कि भारत भूमि पर अनेक देवी देवताओं का अवतार हुआ है जिसे धार्मिक ग्रंथो, प्रवचनों एवं जन श्रुतियों में बताया जाता है। उनमें श्रीराम जन सामान्य में अपनी मर्यादा के कारण सर्वाधिक लोकप्रिय हुए। श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ, उनका संपूर्ण जीवन भारत भूमि की सीमाओं में व्यतीत हुआ। लंका भी उस समय भारत का ही हिस्सा माना जाता था। लोगों में समरसता का संदेश देने के लिए भगवान राम ने शबरी के झूठे बेर खाए और निषाद राज का आलिंगन करके सिद्ध किया की वे सबके हैं, बिना किसी भेदभाव के। निर्दोष नारी अहिल्या का उद्धार करके श्री राम ने श्राप ग्रस्त अहिल्या को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया। इस प्रकार श्री राम ने नारी की मर्यादा और अस्मिता को सर्वाधिक महत्व दिया। वन्य प्राणियों द्वारा की गई सहायता में पक्षीराज जटायु का अन्याय के विरुद्ध संघर्ष भारतीय जनमानस को एकता के सूत्र में पिरोने के साथ ही अन्याय के प्रतिकार के लिए प्रेरित करता है । अवतारी पुरुष श्रीराम का जीवन प्रसंग देखा जाए तो बाल्यावस्था में ही राक्षसों के विनाश के लिए वे मुनि विश्वामित्र के साथ वन प्रस्थान करके तड़का नामक राक्षसी का वध किया। राम रावण युद्ध में रावण का वध करके वे अन्यायी का अन्त करते हैं।करोड़ों लोगों कि इस धारणा को बल मिलता है कि अन्यायी का अंत होना ही है, अन्यायी चाहे कितना ही विशाल क्यों न हो। समूचे भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक भागों में हर वर्ष हो रही रामलीला भी इस बात को संबल प्रदान करती हैं श्रीराम इस धरती पर मानव जीवन के लिए सर्वश्रेष्ठ आदर्श पुरुष हैं और उनका यह आदर्श आने वाली पीढ़ी में विद्यमान रहे इसीलिए राम का भजन कीर्तन स्मरण की परंपरा चलती ही आ रही है।श्रीराम धरती पर मानव मूल्यों की स्थापना एवं लोकतंत्र की स्थापना में जन भावना को सर्वोपरि मानते रहे हैं और लोकतंत्र के मामले में श्रीराम का आदर्श भारत की स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुआ। सन 1857 की क्रांति को इसलिए सफल नहीं माना गया क्योंकि वह लड़ाई देशी राजाओं की राज्य को लेकर ही सीमित रह गई थी। 1947 के पूर्व महात्मा गांधी ने आजादी आंदोलन का नेतृत्व करते हुए भारत में राम राज्य स्थापना की बात कही थी। लोगों के मन में आजादी मिलने के पश्चात एक ऐसे राज्य एवं राजा की छवि उभरी श्रीराम के रूप में जिन्होंने राजा के रूप में स्वयं कहा था –
जो कछु भाखौं अनीति भाई ।निर्भय कहो मोही भय बिसराई।।
राजाराम अपने राज्य में सभी लोगों को यह अधिकार देते हैं कि यदि उनके द्वारा कोई अनुचित कार्य किया जा रहा हो तो निर्भय होकर लोग उसे कह सकते हैं। जिस राजा के राज्य में जनता को किसी भी तरह का कष्ट पहुंचने पर राजा को नरक गामी होने की बात स्वीकार की गई है वह रामराज ही है।
विंध्य अलर्ट का फेसबुक पेज Click Here
जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी। सो नृप अवश नरक अधिकारी।।
यानी जिस राजा के राज्य में यदि प्रजा दुखी है तो वह राजा को निश्चित रूप से नरक भोगना पड़ेगा। ऐसी अवधारणा केवल राम राज्य में ही संभव है। राम के राज्य संचालन कि इस विधि में यह स्पष्ट बताया गया था की राजा को सदैव प्रजा की रक्षा, सुरक्षा और उसकी सेवा का ध्यान रखना चाहिए।
स्वतंत्रता आंदोलन के नायक रहे महात्मा गांधी भी श्रीराम का आदर्श एवं अस्तित्व को स्वीकार करते हुए रघुपति राघव राजा राम का भजन किया करते थे। उन्होंने जीवन की अंतिम क्षणों में भी हे राम पुकार था। शीत ऋतु के पश्चात मां भगवती की आराधना में नवरात्रि प्रारंभ होता है और इस नवरात्रि में मां दुर्गा शक्ति की आराधना की जाती है। इस नवरात्रि आराधना के अंतिम दिवस नवरात्रि नवमी को भगवान श्री राम के जन्मोत्सव को समूचे देश में बड़ी भव्यता के साथ मनाया जाता है।श्रीराम का अस्तित्व इस देश की पहचान और अस्मिता से जुड़ा हुआ है। जीवन के अंतिम क्षणों में लोग राम नाम लेकर ही इस नश्वर शरीर का अंतिम संस्कार करते हैं। इस देश को श्रीराम की धरती कहा जाता है। उनका जन्म इस धरा पर ही हुआ था और उनकी जन्म भूमि अयोध्या पर करोड़ों लोगों की आस्था जुडी हुई है। राम का नाम संकट में समाधान है, पीड़ा में आराम है, मोक्ष का धाम है, चारों ओर देखो तो राम ही राम हैं।
सियाराम मैं सब जग जानी। करहुं प्रणाम जोर जुग बानी।
ऐसे श्री राम का जन्मोत्सव आज बड़े ही धूमधाम से समूचा हिंदुस्तान मना रहा है। राम के बारे में यह भी कहा गया है।
कलयुग केवल नाम अधारा। सुमिर सुमिर नर उतरहीं पारा।।
साथ ही यह भी कहा गया है कि जनम जनम मुनि जतन कराही। अंत राम कहि आवत नहीं।। भगवान राम का चिंतन स्मरण भजन जिसने अंतिम क्षण में प्राप्त कर लिया है उसका जीवन पूरी तरह से सार्थक हो गया है।