ओवरलोड वाहनों के अपराध में अधिकारियों की भी जवाबदेही तय होनी चाहिए

चाकघाट। मध्य प्रदेश की सीमा पर ओवरलोड वाहनों पर अभियान चलाकर प्रशासन द्वारा एक तरफा कार्यवाही से जहां एक और वाहन चालकों में एवं वाहन स्वामियों में हड़कंप मचा हुआ है वहीं ओवरलोड वाहन को रोकने के लिए बनाए गए आरटीओ चेकपोस्ट बैरियर, उड़नदस्ता, यातायात विभाग, पुलिस थाने एवं टोल बैरियर की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो जाता है कि यदि ये लोग घूसखोरी एवं भ्रष्टाचार में लिप्त न होते तो सड़कों पर ओवरलोड वाहन कैसे चल पाता। देखा जाए तो रीवा से लेकर चाकघाट 80 किलोमीटर की दूरी के बीच आरटीओ चेकपोस्ट बैरियर सोहागी, टोल नाका जोगिनहाई एवं सोहागी,आधा दर्जन से अधिक पुलिस थाने होने के बावजूद भी ओवरलोड वाहन किसके सहमति और किसके सांठ गांठ से चल रहा है ? बताया जाता है कि मध्य प्रदेश की सीमा के समीप सुबह शाम सैकड़ों की संख्या में अत्याधिक ओवरलोड वाहन खड़े रहते हैं। क्या पुलिस, आरटीओ एवं संबंधित अधिकारी को चढौत्री दिए बगैर ओवर लोड वाहन चला सकते हैं? जहां प्रशासन ओवरलोड के नाम पर कार्यवाही करने के लिए वाहन चालकों एवं वाहन स्वामियों को बलि का बकरा बना रहा है वही निगरानी के लिए बने आरटीओ विभाग ,पुलिस अधिकारियों, यातायात विभागों के कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। वास्तव में मध्य प्रदेश सरकार अवैध एवं ओवरलोड परिवहन पर प्रतिबंध लगाना चाहता है तो हर नाके हर थाने एवं टोल प्लाजा की जिम्मेदारी निश्चित की जानी चाहिए और इसमें लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए। रीवा से होते हुए चाकघाट तक ओवरलोड लादकर पहुंचे वाहनों पर अधिकारियों कर्मचारियों के द्वारा चाकघाट में कार्यवाही की जाती है तो रास्ते के विभागीय अधिकारियों एवं उनकी जांच चौकी की भी जवाबदेही तय की जानी चाहिए और इस ओवरलोड में उनका बराबर का हिस्सेदार मानकर उन्हें भी दंडित किया जाना चाहिए। ओवरलोड यदि अपराध है तो उसके जिम्मेदार अधिकारियों को भी इस अपराध में शामिल होना माना जाना चाहिए तभी या अपराध रुक सकता है। (रामलखन गुप्त)

Leave a Comment

error: Content is protected !!

शहर चुनें

Follow Us Now

Follow Us Now