अपनी राजनीतिक पारी हारने के बाद सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने तुलसीदासकृत महाकाव्य ‘‘राम चरित मानस’’ पर ही एक चौपाई को लेकर टिप्पणी शुरू कर दी थी। जिसके बाद कुछ लोगों द्वारा रामचरित मानस को छति पहुंचे गई और एक ट्रेंड ही छेड़ दिया गया।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सनातन धर्म पर कई तरह के हमले हो रहे हैं। हमारी सहिष्णुता का कुछ लोग अनुचित लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं। भगवान राम के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाया जा रहा है। गोस्वामी तुलसीदास जी के रामचरित मानस को अपमानित किया जा रहा है। इसका मुकाबला करने के लिए हमें सनातन धर्म के आदर्शों तथा ईश्वर पर आस्था को दृढ़ करना होगा। संस्कारवान शिक्षा से ही सनातन मूल्यों की रक्षा होगी। विद्यालय के संचालक ने स्वागत में गीता का उपहार देकर हमारी चेतना का द्वार खटखटाया है। सरकार गीता के मूल तत्वों को स्कूलों के पाठक्रम में शामिल करने जा रही है। गीता हमें ज्ञान, कर्म और भक्ति का संदेश देती है। इन्हीं पर सनातन धर्म और हमारा जीवन टिका हुआ है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमारे देश की संस्कृति और परंपरायें सर्वश्रेष्ठ हैं हमारी सामाजिक व्यवस्था तथा पारिवारिक व्यवस्था जो अपनापन है वह विश्व में कहीं नहीं है। हम वसुधैव कुटुम्बकम तथा अतिथि देवों भव को मानने वाले हैं। विद्यालय में बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ अच्छा संस्कार देगे तभी वे देश के जिम्मेदार नागरिक बनेंगे।
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