त्योंथर रीवा, मप्र। एक तरफ शासन- प्रशासन सड़क सुरक्षा को लेकर नित्य कोई न कोई अभियान चला रही है तो दूसरी तरफ ऐसे अभियान के बावजूद सड़क पर आवारा पशुओं का आपस में भीड़ जाना बेहद ही संवेदनशील विषय हो गया है। जिस पर शायद अभी तक किसी भी जिम्मेदार का ध्यान नहीं गया है। सड़क पर आवारा गौवंशो को लेकर कभी – कभी आम नागरिकों की ज़िंदगी खतरे में पड़ जाती है। ऐसा इस लिए कह रहा हूँ क्यूंकि हाल ही में चाकघाट सोनौरी मार्ग जो की बेहद ही व्यस्त मार्ग है, में अमांव मटियारी पुल के पास दो बैल आपस में भीड़ गए थे। जिसकी वजह से राहगीरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और इस युद्ध के ख़त्म होने तक इंतजार करना पड़ा। हालाँकि मौजूद ग्रामीणों की वजह से ये मामला हादसे में तब्दील नहीं हो पाया लेकिन आवारा पशुओं का तांडव पूरे क्षेत्र में एक महामारी की तरह फैलता जा रहा है।
एक नज़र
एक तरफ सरकार की योजनाओं में गौशालाओं का प्रावधान है। तो दूसरी तरफ इन्ही योजनाओं के नाम पर बन्दर बाँट चल रही है। जिसकी वजह से न तो आवारा गौवंशो को आसरा मिल पा रहा है और न ही योजनाओं का लाभ। जबकि सरकार पहले ही ऐसे योजनाओं को लेकर दावों का पुलिंदा हर दफ्तर में पहुंचा चुकी है। अब ऐसे में सवाल उठता है आख़िर ऐसे कौन लोग हैं जो न तो इंसान को और न ही जानवरों को सुकून से रहने दे रहे हैं और उन पर कार्यवाई क्यों नहीं होती हैं ?
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