डिप्टी सीएम ने किया सड़क का भूमिपूजन, गाँव के लोगों ने रुकवाया निर्माण कार्य!

गंगेव। नेवरिया ग्राम की सड़क पर राजनीति रुकने का नाम नहीं ले रही है. अभी हाल ही में डिप्टी सीएम के साथ वायरल हुई एक ग्रुप फोटो और बाद में वायरल हुए एक शिकायती पत्र जिसकी की पावती भी कलेक्टर और जिला सीईओ कार्यालय से मौजूद है, सड़क निर्माण से जुड़े दावों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल के साथ वायरल नेवरिया और सेदहा के ग्रामीणों की फोटो में लोग काफी प्रसन्न मुद्रा में नजर आ रहे हैं और बताया जा रहा है की यह भूमिपूजन के पहले की प्रसन्नता है जब नेवरिया की सड़क के भूमिपूजन से पहले दावे किये गए थे की सड़क की वाधाएं दूर की जाकर सड़क निर्माण का रास्ता प्रसस्त हो गया है और जाकर डिप्टी सीएम के घर में मिठाई और फूल माला बाटा गया था। दूसरी तरफ एक शिकायती पत्र भी वायरल हो रहा है जिसमे उसी नेवरिया ग्राम के ही इन्द्रलाल तिवारी, संतोष तिवारी उर्फ आरआई, पुष्पराज तिवारी, सुरेश तिवारी, भीमसेन तिवारी, रमेश तिवारी, राजकुमार तिवारी आदि के संदिग्ध और एक जैसे पैटर्न में बनाए गए हस्ताक्षर मौजूद हैं जहाँ पर यह सभी लोग माग कर रहे हैं की 25 लाख की सीमा के भीतर स्वीकृत पंचायती सड़क निर्माण कार्य न किया जाय और 40 लाख वाली सड़क निर्माण कार्य कराया जाय. वहीँ कुछ जमीनों के अत्यजन सम्बन्धी बातें भी की जा रही हैं और कहा जा रहा है कि अत्यजन न होने से निर्माण कार्य न कराया जाय. एक तर्क यह भी है की तत्समय मौसम ठंडी का था और चारों तरफ फसलें थीं इसलिए गर्मी की ऋतू में निर्माण कार्य कराया जाय. 
आखिर जब भूमि पूजन डिप्टी सीएम ने किया तो अत्यजन की क्यों है समस्या?
इस बीच लोगों ने सवाल खड़े किये की आखिर जब नेवरिया की कथित सड़क का भूमिपूजन बड़े धूमधाम से डिप्टी सीएम द्वारा किया गया तब आखिर उसी समय जमीन की अत्यजन सम्बन्धी दिक्कतों का समाधान क्यों नहीं किया गया? जब डिप्टी सीएम के कहने पर गदही और सेदहा की सैकड़ों एकड़ की जमीन रीवा कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल वन विभाग को दे सकती हैं और रातोरात यह प्रक्रिया की जा सकती है तो फिर नेवरिया जो राजेन्द्र शुक्ला का कथित ननिहाल भी है वहां अत्यजन की क्या दिक्कत आ गयी? और फिर यदि अत्यजन नहीं हुआ था तो इतना भूमिपूजन का ड्रामा कर झूंठ प्रचारित करने की क्या जरुरत थी? 
अब यह सड़क निर्माण रोकने का वायरल शिकायती पत्र आखिर क्यों?
ग्राम पंचायत के लोगों राजमणि सिंह, दशरथ सिंह, नागेश्वर सिंह, कमलेश पांडेय, दानी सिंह, मुनीश्वर त्रिपाठी, जेपी त्रिपाठी, मानेंद्र त्रिपाठी आदि ने यह भी सवाल किये हैं की जिला कलेक्टर और जिला सीईओ को दिया गया जो शिकायती पत्र सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है और जिसमे विधिवत दोनों जगहों की पावती भी है उसमे जिनके हस्ताक्षर मौजूद हैं वह ज्यादातर वही लोग थे जिनके द्वारा यह दावे किये गए थे की वन्दना मिश्रा और गया प्रसाद मिश्रा निवासी डाढ की विवादित जमीन की दिक्कतें समाप्त हो गयी हैं और 75 वर्ष से रुकी सड़क मार्ग खोल दिया गया है. हालाँकि इस बाबत मीडिया में भी काफी ऐसी भ्रामक ख़बरें प्रचारित की गयी थीं. अब उन्ही फोटो वाले लोगों का यह कहना है की जमीन का अत्यजन नहीं हुआ है तो फिर वाधा कैसे दूर की थी?  
शिकायती पत्र में हस्ताक्षर एक ही पैटर्न के और फर्जी?
जिन लोगों के हस्ताक्षर इस शिकायती पत्र में मिले हैं उसमे से उन लोगों द्वारा तो अब तक सामने आकर कोई बयान नहीं दिया गया है लेकिन ग्राम सेदहा और नेवरिया के कई लोगों का मानना है की शिकायती पत्र में उस्पथित हस्ताक्षर उनमे से कई लोगों के है ही नहीं जिनके नाम शिकायत में दर्ज हैं. तो फिर सवाल उठता है की आखिर यह फर्जी किस्म की शिकायत किसके द्वारा की गयी और किसके द्वारा करवाई गयी? आखिर सेदहा पंचायत और नेवरिया गाँव में कौन ऐसा व्यक्ति है जो इस प्रकार का फर्जीवाडा कर रहा है और चाह रहा है की नेवरिया के लोगों के लिए सड़क निर्माण न हो और नेवारिया के लोग बरसात की गंदगी में सड़ते रहें? 
25 लाख और 40 लाख की लागत वाली सड़क के पीछे का गणित ऐसे समझिये 
अब आईये 25 लाख और 40 लाख की लागत वाली सड़क का गणित समझते हैं. नेवरिया ग्राम की सड़क  लगभग 1940 मीटर अर्थात 2 किमी के आसपास स्वीकृत करवाई गयी थी. इस सड़क के बीच में लगभग दो दर्जन भू स्वामियों की भूमियाँ प्रभावित थीं. इस पंचायती कार्यकाल के पूर्व यहाँ सेदहा पंचायत में सुखनंदन साकेत, प्रभा सिंह पत्नी चिंतामणि सिंह, रामगोपाल पटेल, प्रानवती पटेल, पवन कुमार पटेल इस प्रकार पांच सरपंच रहे हैं लेकिन इनमे से किसी के द्वारा न तो सेदहा, न बडियोर-बम्हनी और न ही ही नेवरिया-लोहरा और न ही भमरिया गदही गोशाला की सड़क के लिए कोई प्रयास किये गए. यह सब वोट बैंक का चक्कर था इसलिए इन ग्रामों को छोड़ा गया था. बाद में जुलाई 2022 में पूनम सिंह पति पुष्पराज सिंह सेदहा की सरपंच बनीं जिनके कार्यकाल में चार प्रमुख सड़कें स्वीकृत करवाई गयीं. भमरिया से गदही गौशाला के लिए भमरिया में उत्पन्न बाधा का समाधान पूनम सिंह ने किया जिसके बाद गदही गोशाला के लिए सड़क बनी वरना भामरिया में हो असामाजिक तत्वों ने सड़क रोक दिया था, बडियोर-बम्हनी सुदूर सड़क, भमरिया-सेदहा सुदूर सड़क और फिर नेवरिया-लोहरा सुदूर सड़क भी इन्ही पूनम सिंह के कार्यकाल में स्वीकृत हुईं. मतलब ग्राम पंचायत और उसके आसपास की जोड़ने वाली पंचायतों में इस कार्यकाल में विकास की नदी सी बही है. कम से कम सड़कों के जाल के मामले में महत्वपूर्ण पहल हुई है. जिसका नतीजा है की सड़कें स्वीकृत होकर निर्माण भी प्रारंभ है. लेकिन नेवरिया-लोहरा ग्राम की सड़क 20 लाख में स्वीकृत हुई जिसकी निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत को बनाया गया परन्तु कुछ ठेकेदारों और नेताओं के चमचों को लगा की यह हाँथ से निकलने न पाए इसलिए इसकी तकनीकी स्वीकृति राशि डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला की मदद से 40.73 लाख करवा दी गयी. जाहिर है यदि सीमा 25 लाख से ऊपर होकर 40 लाख है तो कार्य ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के चहेते ठेकेदारों द्वारा करवाया जायेगा और उसमे सभी दलालों को अच्छा खासा कमीशन भी मिलेगा. यही इनका मुख्य उद्येश्य रहा. लेकिन अब ग्राम पंचायत और आसपास के लोग डेप्युटी सीएम की भूमिका को लेकर भी कर रहे हैं। कुछ हो न हो इन्होंने नेवरिया ग्राम में तो खूब जहर घोला है।
डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला की जनप्रतिनिधि विरोधी मानशिकता पर सवाल ?
अब जब यह गुणाभाग कर दिया गया तो ग्राम पंचायत सेदहा की सरपंच पूनम सिंह और उनके पति पुष्पराज सिंह अपने लोगों के साथ डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला के पास पहुंचकर गुहार लगाई. कहा की हम भी संघ से जुड़े कार्यकर्त्ता हैं और आपकी पार्टी के लिए हो कार्य किए तो आखिर हमसे क्या गलती हुई की आपने नेवरिया सुदूर सड़क को पंचायत से हटाकर ठेकेदारों को देने का मन बना लिया है. बताया गया की उसी समय राजेन्द्र शुक्ला ने मौखिक तौर पर कुछ अधिकारियों को संदेशा दिलवाया था की कार्य पंचायत ही करें क्योंकि मामला उनके संज्ञान में था नहीं और उन्हें गुमराह किया गया था. यह सब बातें सरपंच पूनम सिंह और उनके पति पुष्पराज सिंह द्वारा ही बताई गयीं. बाद में कुछ पूर्व विधायकों के चमचों और ठेकेदारों ने राजेन्द्र शुक्ला से जोर जुगत लगवाया और सांसद जनार्दन मिश्रा और डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला के लैटर हेड में अवैधानिक तरीके से बिना ग्राम सभा के किसी प्रस्ताव और और बिना ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों को जानकारी दिए ही सम्बंधीजनों को पत्र जारी कर दिया की सड़क निर्माण सीमा बढ़ाई जाए और कार्य पंचायत से हटाकर विभाग और उनके ठेकेदारों को दिया जाय. अब इन पत्रों की वजह से प्रशासनिक अमलें में भी दिक्कत है की जब तक इन पत्रों की काट वाला दूसरा पत्र जारी नहीं होता और डिप्टी सीएम यह नहीं कहते कि सड़क निर्माण ग्राम पंचायत ही कराये तब तक प्रशासनिक अधिकारी कोई एक्शन नहीं लेना चाहते. आखिर पत्र तो डिप्टी सीएम का ही है. पद तो पद होता है. उसका लाभ तो सभी चमचे ले रहे हैं. आखिर यह सब पदों का ही खेल तो है. भले ही प्रदेश और देश स्तर पर ऐसे नेताओं की कोई हैसियत न हो लेंकिन अपने जिले और आसपास के तहसीलों की राजनीति को यह खूब प्रभावित कर सकते हैं. और बस यही चल भी रहा है. जानकारों की मानें तो एक बात आवश्यक तौर पर जोड़ा जाना चाहिए की इस पूरे खुराफंत में डिप्टी सीएम के पूर्व पीए राजेश पाण्डेय का रोल काफी अहम रहा है. भिटवा की राजनीति तो इनके बस में रही नही अब यह सेदहा और हिनौती की राजनीति कर रहे हैं और डेप्युटी सीएम इनका बखूबी साथ भी दे रहे हैं।
क्या नेवरिया की सड़क बरसात के पहले बन पाएगी? 
अब इस सब राजनीति के चक्कर में तबाही नेवरिया और लोहरा के अदिवाशियों और वासिंदों की है. लोगों में एक नकारात्मक भावना घर करती जा रही है शायद दर्जनों भूमिस्वामियों द्वारा जमीन का अत्यजन कराये जाने के बाद भी अब उनकी सड़क इस सीजन में भी नहीं बन पायेगी. गर्मी का सीजन व्यतीत होने वाला है और नौतपा लगने वाला है. नौतपा के बाद से ही बारिस का माहौल बन जाता है और मानसून एक्टिव हो जाता है. ऐसे में यदि एक दो हफ्ते में सड़क निर्माण सम्बन्धी पेंच का समाधान नहीं होता तो नेवरिया और लोहरा गाँव के लोगों के लिए वही पिछले 75 वर्ष वाली स्थिति ही रहेगी जहाँ लोग बरसात में कीचड़ से सने हुए मार्ग पर अपने बच्चों को स्कूल  भेजते हैं और यदि कोई बीमार हो जाए तो उसे कन्धों पर लादकर ले जाना पड़ता है क्योंकि कोई भी एम्बुलेंस गाँव में घुस ही नहीं सकती. अब देखना यह है डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला इस मामले में तत्काल संज्ञान लेकर सड़क निर्माण ग्राम पंचायत से कराये जाने के लिए अधिकारियों को निर्देशित करते हैं अथवा अपने चहेते व्यक्तियों और ठेकेदारों के लिए ही बैटिंग जारी रखेंगे?

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