मिलेट्स मिशन – मोटे अनाज हैं पोषण का भण्डार

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देश भर में मिलेट्स मिशन चलाया जा रहा है। रीवा जिले में भी कृषि के विविधीकरण के प्रयासों के तहत मोटे अनाजों की पैदावार बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मोटे अनाज उगाने के लिए बड़ी संख्या में किसानों ने प्राकृतिक खेती के लिए पंजीयन कराया है। अन्य अनाजों की तुलना में मोटे अनाज आसानी से पचने वाले और अधिक पोषण देने वाले होते हैं। मोटे अनाजों में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और कई तरह के खनिज पाए जाते हैं। मोटे अनाज प्राकृतिक रूप से ग्लूटेन फ्री होते हैं। मोटे अनाज उगाने के लिए परंपरागत खेती की विधियाँ उपयुक्त हैं। इसलिए मोटे अनाज मिट्टी के स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा में भी सहायक होते हैं।

इस संबंध में उप संचालक कृषि यूपी बागरी ने बताया कि रीवा जिले ही नहीं पूरे विंध्य क्षेत्र में 50 वर्ष पूर्व तक मोटे अनाजों की बड़े पैमाने पर खेती होती थी। कोदौ, ज्वार, मक्का तथा अन्य मोटे अनाज मुख्य रूप से मेहनतकशों और गरीबों का भोजन थे। कम बारिश में भी इनकी अच्छी फसल होती थी। मोटे अनाजों को कई सालों तक बिना किसी दवा के सुरक्षित भण्डारित रखा जा सकता है। मोटे अनाजों की खेती परंपरागत विधि से की जाती थी। खेती का आधुनिकीकरण होने तथा अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक खाद एवं अन्य खादों का उपयोग करने के कारण मोटे अनाजों की खेती कम हो गई। इनका उत्पादन अपेक्षाकृत कम होता है, लेकिन इनकी पोषकता अधिक होती है। इसलिए शासन द्वारा मिलेट्स मिशन के माध्यम से मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। चावल और गेंहू के कुल कृषि आच्छादन में 20 प्रतिशत की कमी करके इनके स्थान पर मोटे अनाजों की खेती का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश में 10.8 लाख टन मोटे अनाजों की खेती करनी होगी। मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इनका न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करना शुरू किया है।

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