सरकार द्वारा बेहतर शिक्षा के लिए दुनिया भर की तकनीक प्रणाली और व्यवस्थाएं महज खानापूर्ति साबित हो जाती हैं जब कुछ शिक्षकों की मनमानी पूरे विभाग को ही सवालों के घेरे में खड़ी कर देती है और उससे भी बड़ी व्यथा ये है कि ऐसे भ्र्ष्ट और मनमानी करने वालों को बचने के लिए विभाग के सीएसी, बीएसी, बीआरसी सहित तमाम आला अधिकारी शिकायतकर्ता को दबाने, झुकाने, डराने और झूंठे मामलों में फ़साने का व्यूह रचने लगते हैं।
ताज़ा मामला जनपद पंचायत त्यौंथर अंतर्गत शासकीय प्राथमिक विद्यालय पटहट कला से सामने आया है। जहाँ बच्चों और अन्य लोगों द्वारा यह जानकारी दी गई थी कि एक शिक्षिका न समय से पाठशाला आती हैं न पढ़ाती हैं बल्कि अपने अनुसार पाठशाला में आना है और जाना है। मामले कि तहकीकात जब हुई तो आरोप और वास्तविकता एक जैसे मिले, जिसका पूरा साक्ष्य कैमरे में कैद हो गया। मौके पर शिक्षिका नहीं मिलीं तो वहां मौजूद अन्य शिक्षिका से सवाल – जबाब हुए फिर बच्चों ने तो गायब शिक्षिका कि पूरी पोल ही खोल दी। उन्होंने बताया कि कैसे शिक्षिका गायब रहती हैं और अपने हिसाब से पाठशाला आती जाती रहती हैं। पाठशाला में पत्रकार पहुंचे हैं, यह जानकारी जैसे ही आग कि तरह फैली सीएसी बरहा द्वारा शिक्षिका के बचाव में विभाग के व्हाट्सप्प ग्रुप में पत्रकार को फर्जी बताते हुए थाने में शिकायत करने के लिए लिखा गया। जिससे सीएसी बरहा पर भी इस लापरवाही में शामिल होने कि आशंका है। हालाँकि स्थानीय पत्रकार द्वारा सावधानी बरतते हुए पाठशाल में घुसने से पहले ही कैमरा चालू कर दिया गया था और मौजूद लोगों द्वारा जो जानकारी दी गई वो भी ऑन रिकॉर्ड बनती रही। मामले में सीएसी बरहा कि उदासीनता देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी रीवा को सारे साक्ष्य सौंप दिए गए हैं। अब देखने वाली बात यह है कि ऐसे लापरवाही बरतने और उनको संरक्षण देने वाले कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही होगी या फिर इसे भी कूड़ेदान में डालकर ऐसे लापरवाह शिक्षकों और कर्मचारियों को संरक्षण दिया जायेगा।