राहत तथा बचाव संबंधी समस्त तैयारियां 25 जून तक कर लें – कमिश्नर

कमिश्नर कार्यालय में गूगल मीट से रीवा संभाग के कमिश्नर गोपालचन्द्र डाड ने बाणसागर परियोजना से जुड़े जिलों में बाढ़ की स्थिति में राहत एवं बचाव तैयारियों की समीक्षा की। कमिश्नर ने कहा कि सभी जिलों के अधिकारी बाढ़ संभावित क्षेत्रों का दौरा करके 25 जून तक राहत एवं बचाव कार्य से जुड़ी तैयारियां पूरी कर लें। बाढ़ की स्थिति में राहत शिविर लगाने के लिये स्थान के चयन से लेकर बचाव दल, राहत के उपकरण, दवाओं, खाद्य सामग्री की आपूर्ति तथा बिजली एवं पानी की व्यवस्था से जुड़ी कार्यवाहियां सुनिश्चित करें। बाढ़ पर नियंत्रण के लिये समय पर सूचनाओं का आदान-प्रदान आवश्यक है। जिला तथा तहसील स्तर पर बाढ़ नियंत्रण केन्द्र स्थापित करके इनमें प्रशिक्षित कर्मचारी तैनात कर दें। सूचनाओं का एक दूसरे को लगातार आदान-प्रदान करते रहें। बांधों से पानी छोड़े जाने अथवा लगातार वर्षा की स्थिति में सभी जिले सतत संपर्क में रहें।

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कमिश्नर ने कहा कि बाणसागर बांध की अप स्ट्रीम तथा डाउन स्ट्रीम में बाढ़ संभावित क्षेत्र चिन्हांकित हैं। अप स्ट्रीम में मैहर तथा शहडोल जिलों में बांध के जल भराव क्षेत्र में अस्थायी बस्ती बनाकर खेती की जाती है। इन क्षेत्रों से 25 जून तक सभी बस्तियां हटा दें। सभी एसडीएम अपने क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर लें। बाढ़ से बचाव के लिये व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर विभिन्न विभागों के संबंधित अधिकारियों को जोड़ें। इस ग्रुप में गांव के कुछ व्यक्तियों तथा पटवारी, ग्राम पंचायत सचिव, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता जैसे मैदानी कर्मचारियों को भी शामिल करें। समय पर सही सूचना मिलने से राहत और बचाव कार्य में आसानी होगी। बाणसागर बांध की डाउन स्ट्रीम में सीधी तथा सिंगरौली जिले के 129 गांव बाढ़ संभावित हैं। आपदा प्रबंधन के लिये संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देश पत्र जारी कर दिये गये हैं। इनके अनुरूप कार्यवाही करें। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए पर्याप्त दवाएं  भण्डारित करा दें।

बैठक में आईजी रीवा रेंज एमएस सिकरवार ने कहा कि बाढ़ से बचाव के लिए समय रहते तैयारियां कर ली गर्इं तो कोई परेशानी नहीं होगी। जल संसाधन विभाग, राजस्व विभाग तथा पुलिस विभाग के अधिकारी तत्परता से बाढ़ संबंधी सूचनाओं का आदान-प्रदान करें। समन्वय के साथ किसी भी स्थिति से निपटने के लिए कार्य योजना बनाएं। आपदा प्रबंधन के लिए बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप में संभावित बाढ़ प्रभावित गांवों के कुछ आम नागरिकों के भी मोबाइल नम्बर शामिल करें जिससे समय पर गांव में सूचना दी जा सके। सभी कंट्रोल रूम एक दूसरे की सूचनाएं साझा करें।

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बैठक में कलेक्टर रीवा प्रतिभा पाल जिले में बाढ़ से निपटने के लिए किए गए प्रबंधों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बाढ़ से प्रभावित होने वाले जिले के सभी गांवों में समस्त व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली गई हैं। जिला और तहसील स्तर पर 20 जून से कंट्रोल रूम शुरू हो जाएंगे। बाढ़ प्रभावित गांवों में मंदिर, पक्के मकानों तथा बिजली के खंभों में निर्धारित ऊंचाई पर लाल निशान लगाते हुए ग्रामवासियों को इस बात के लिए आगाह करें कि निशान तक पानी आने पर वह गांव छोड़ दें।

बैठक में मुख्य अभियंता गंगा कछार अशोक डेहरिया ने बाणसागर बांध के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि बांध के जल भराव क्षेत्र में 79 गांव आंशिक रूप से डूब में आते हैं। इन गांवों में ही बाढ़ की समस्या होती है। बांध के पूरे क्षेत्र को 6 जोन में बांट कर जोनल अधिकारी तैनात कर दिये गये हैं। कटनी जिले के 27 गांव तथा उमरिया जिले के 18 गांव बांध के बैक वाटर से प्रभावित होते हैं। बैठक में लोक निर्माण विभाग को अति वर्षा की स्थिति में जलमग्न होने वाले पुल-पुलियों में संकेतक तथा बैरियर लगाने के निर्देश दिये गये। बैठक में डीआईजी साकेत प्रकाश पाण्डेय, अपर कमिश्नर अरूण परमार, तथा संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में वर्चुअल माध्यम से कलेक्टर सिंगरौली चन्द्रशेखर शुक्ला तथा मैहर, उमरिया, शहडोल, कटनी एवं सीधी जिलों के पुलिस, राजस्व एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारी शामिल हुए।

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