पूरा मामला डभौरा नगर पंचायत के गोन्ता टोला का है जहां की फूलकली कोल विगत चालीस वर्ष पूर्व से मकान बनाकर निवासरत है जिसका खसरा नंबर 1252/1/1 मध्य प्रदेश शासन की भूमि है जिसका रकवा 28 हेक्टेयर से ज्यादा है जिसके अंश भाग में पचासों से ज्यादा मकान बने हुए हैं इसी भूमि का प्रकरण क्रमांक 87/04 शासन मध्य प्रदेश विरुद्ध स्वर्गीय रामायण दास कोल पिता सुखई कोल ग्राम न्यायालय डभौरा द्वारा 29 अप्रैल 2005 को 400 रूपए का अर्थ दण्ड लगाया गया था जिससे स्पष्ट होता है कि बेवा फूलकली कोल का परिवार बहुत पूर्व से उक्त भूमि पर आवाद है लेकिन नायब तहसीलदार डभौरा ने पीड़ित को न्याय दिलाने के बजाय 21 मई 2024 को अपने आदेश फरियादी एवं अनावेदक दोनों के मकान बेदखल करने एवं पंद्रह पंद्रह सौ रुपए का अर्थ दण्ड देने का आदेश दिया इसके बावजूद भी अनावेदक लालजी कोल ने निर्माण कार्य बंद नही किया।
अब सवाल उठता है जो राजस्व न्यायालय से पीड़ित फरियादी जबरन किए जा रहे अतिक्रमण निर्माण एवं अपने काबिज भूमि को मुक्त कराने की गुहार लगाई उसी को नायब तहसीलदार ने बेदखल करने का आदेश सुना दिया अब सवाल उठता है कि यह नायब तहसीलदार का कैसा फैसला है। अतिक्रमण कारी के साथ साथ फरियादी को ही सजा क्यों और कैसे सुनाई गई। क्या फरियादी पर नायब तहसीलदार दबाव बनाने की कोशिश में और अतिक्रमणकारी को फायदा दिलाने के पक्ष में हैं। (अनूप कुमार गोस्वामी के साथ राम मनोरथ विश्वकर्मा)
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