मजदूर दिवस एक मई पर विशेष – मजदूर एवं उनका स्वास्थ्य

पूरी दुनिया में 15 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में श्रमिकों यानि मजदूरों की बहुत बड़ी संख्या है। गॉव से लेकर शहरों व महानगरों तक दिखाई देने वाली सड़को, बहुमंजिला भवनों, नहरों, व कृषि प्रधान देश में खेतों की जुताई, बीज बोने, सिंचाई, फसलों के रख रखाव, कटाई, व गहाई विभिन्न उद्योगों, विभिन्न संस्थाओं , सफाई कार्यक्रम तथा दुग्ध उत्पादन का कार्य मजदूरों के बिना संभव नही है। यानि देश के विकास में संपूर्ण योगदान मजदूरों का है जो विभिन्न सामाजिक, शैक्षणिक, राजनैतिक, आर्थिक व स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछड़े रहते है। पूरी दुनिया में प्रति वर्ष 01 मई को विश्व मजदूर दिवस मनाया जाता है। तीन दशक पूर्व अमेरिका में श्रमिकों के हितों हेतु आन्दोलन किया गया था, तब से मजदूर दिवस के रूप में इस दिन को मनाते है। विकसित देशों मंे इस दिन को सार्वजनिक अवकाश रहता है। किन्तु अब तक भारत में ऐसा नही है। श्रमिकों के सर्वाग्रीण विकास हेतु भारत सरकार व म0प्र0 सरकार निरन्तर रूप से योजनाएॅ बनाती रहती है। एक अनुमान के अनुसार समस्त मजदूर गरीबी रेखा में रहते है। शासन के द्वारा इनके सर्वाग्रीण विकास हेतु बच्चों के विद्यालय में निःशुल्क प्रवेश, स्कालरसिप, गणवेश व पुस्तके इत्यादि इनके बच्चों को उपलब्ध कराई जाती है। वृद्धावस्था पेंशन, निराश्रित पेंशन, प्रधानमंत्री आवास व संबल कार्ड अन्तर्गत दी जाने वाली इनके लाभ हेतु सैकड़ों योजनायें है। मजदूरों के बेहतर स्वास्थ्य हेतु भारत शासन व म0प्र0 शासन द्वारा समस्त जॉच व इलाज की निःशुल्क ब्यवस्था की गई है। भारत शासन द्वारा 05 लाख रूपये तक एक परिवार के इलाज हेतु आयुष्मान योजना द्वारा भारत के किसी उत्कृष्ट अस्पतालों मंे इलाज की ब्यवस्था है। समस्त श्रमिकों से अपील है कि अपनी ग्राम पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक, या आशा कार्यकर्ता के माध्यम से आयुष्मान कार्ड अवश्य बनवायें। वर्ष 2011की जातीय जनगणना, सम्बल कार्डधारी या खाद्यान पर्ची को आयुष्मान कार्ड की पात्रता है। श्रमिको में पोषण हेतु चावल, दाल, नमक, आदि पर्याप्त मात्रा में शासन द्वारा हर परिवार को प्रदाय किया जाता है। बच्चों को निःशुल्क टीकाकरण व गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव, संपूर्ण इलाज, एनीमिया व गंभीर बीमारी का इलाज, रक्त की उपलब्धता, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला अस्पताल एवं मेडिकल कालेज अस्पताल में ब्यवस्था रहती है। गर्भावस्था के दौरान जननी सुरक्षा योजना, प्रसूति सहायता योजना का लाभ रू0 16000/- उनके पोषण हेतु प्रदाय किया जाता है। श्रमिक गरीब होने के बाबजूद अज्ञानता के कारण तम्बाकू उत्पाद व शराब का अत्यधिक मात्रा में सेवन करते है। जिसकी जटिलता के कारण मुख, गले, पेट, आँँत, फेफडे, लीवर, स्तन, बच्चेदानी व किडनी में कैंसर की संभावना रहती है। साथ ही टी0बी0 के उन्नमूलन हेतु रोगियों के निःशुल्क जॉच, इलाज, पोषण हेतु रूपये 500 सौ प्रति माह इलाज अवधि तक उन्हे प्रदाय किया जाता है। श्रमिकों द्वारा नये परिवेश में मेहनत के कार्य में रूचि न लेने के कारण ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थायराइड, हृदय रोग, व कैंसर जैसी बीमारियॉ उन्हे बढ़ रही है। 30 वर्ष से अधिक आयु के हर पुरूष महिला को अपनें ब्लडप्रेशर व डायबिटीज की जानकारी होना आवश्यक है। शासन द्वारा इन असंचारी रोगों की रोकथाम हेतु दैनिक दिनचर्या में बदलाव व रहन सहन के संबंध में ब्यापक जागरूकता का कार्यक्रम चलाये जाने की आवश्यकता है। जिसमें तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट, व शराब का सेवन न करना, झाड़ फूक, टोना जादू में विश्वास न रखना, खाँसी बुखार व अन्य कोई तकलीफ होने पर गॉव की आशा व आगनवाड़ी कार्यकर्ता से संपर्क करना व शीघ्र नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र आना, सभी बच्चों का विशेषकर बेटियों को अनिवार्य रूप से विद्यालय भेजना, बेहतर रोजगार हेतु प्रयास करना, व शारीरिक मेहनत करना। इस महायज्ञ शासकीय योजनाओं के अतिरिक्त त्रिस्तरीय पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों व एनजीओं का भी सहयोग लिया जाना चाहिये। यह जानना आवश्यक है कि यदि श्रमिकों द्वारा शारीरिक मेहनत छोडने का प्रयास किया या कम किया गया तो पूँजीपतियों, ब्यापारियों व आराम से जीवन ब्यतीत करने वाले लोगों की तरह असंचारी रोग डायबिटीज व ब्लडप्रेशर, बहुतायत में वे पीड़ित होगें व मृत्यु भी ज्यादा होगी। सुखद पहलू यह है कि किसानों के कार्य में लगे मजदूरों के परिवारजनों के बीमार होनें की स्थिति में मालिक स्वयं उनके इलाज हेतु पैसा उपलब्ध करानें के साथ पीड़ित के साथ खडे रहते हैं।

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